सारस न्यूज़ टीम, सारस न्यूज़।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत कुछ राज्यों में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को लेकर केंद्र सतर्क हो गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को विशेषज्ञों और अधिकारियों के साथ बैठक कर हालात की समीक्षा की और नए वैरिएंट के साथ ही दवाओं व इलाज के लिए जरूरी अन्य सुविधाओं की उपलब्धता पर नजर रखने का निर्देश दिया। बाद में भाजपा मुख्यालय में मांडविया ने कहा कि कोरोना का नया एक्सई सब-वैरिएंट ओमिक्रोन के दो वैरिएंट से मिलकर बना है और इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
समीक्षा बैठक के दौरान मांडविया ने अधिकारियों से टीकाकरण अभियान को तेज करने और हर जरूरतमंद तक टीका पहुंचाने का निर्देश दिया। बैठक में नीति आयोग के सदस्य व कोरोना टीकाकरण अभियान के लिए गठित समिति के प्रमुख डा. वीके पाल, स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, आइसीएमआर के प्रमुख डा. बलराम भार्गव, एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया, टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटागी) के प्रमुख डा. एनके अरोड़ा के साथ-साथ स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारत में सफल टीकाकरण अभियान के कारण कोरोना की तीसरी लहर दूसरी लहर की तुलना में कम भयावह साबित हुई। उनके अनुसार दुनिया के अन्य देशों के आंकड़े देखने से साफ है कि तीसरी लहर में लोगों की मौतें दूसरी लहर जैसी ही हुईं, लेकिन भारत की स्थिति इससे अलग रही। कोरोना खत्म नहीं हुआ, लोग सावधान रहें। लोगों को सतर्क रहना चाहिए। देश में कोरोना वायरस के एक्सई वेरिएंट का पहला मामला महाराष्ट्र में आया था और दुनिया में इस वैरिएंट का पहला मामला ब्रिटेन में मिला था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नया वैरिएंट ओमिक्रोन की तुलना में 10 गुना अधिक संक्रामक है। बृहन्मुंबई नगरपालिका के एक अधिकारी ने बताया था कि जीनोम सीक्वेंसिंग लैबोरेटरी में 11वें बैच के 376 नमूनों की सीक्वेंसिंग में इस नतीजे का पता चला। इसके अलावा कप्पा वैरिएंट का भी एक मामला सामने आया। मुंबई भेजे गए 230 नमूनों में से 228 ओमिक्रोन के थे जबकि एक कप्पा और एक्सई वैरिएंट का था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वैरिएंट्स में बदलाव के बाद जो नया रूप बनता है वह पहले की तुलना में अधिक संक्रामक होता है। कोरोना वायरस का यह नया वैरिएंट एक्सई ओमिक्रोन का सबवैरिएंट है। इससे पहले ओमिक्रोन के दो वैरिएंट बीए1 ओर बीए2 सामने आ चुके हैं और नए वैरिएंट एक्सई के बारे में कहा जा रहा है कि यह इन्हीं पुराने दोनों वैरिएंट से मिलकर बना है। जांच के दौरान इसकी पहचान करना भी मुश्किल है और इसलिए इसे ‘स्टील्थ वैरिएंट’ कहा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि बदलाव के बाद जो नया रूप बना है, वह पहले वाले रूपों की तुलना में अधिक संक्रामक हो सकता है।