सारस न्यूज, वेब डेस्क।
देश भर में दृष्टिबाधित छात्रों को डिजिटल एम्बॉसिंग तकनीक का उपयोग करके बनाए गए ब्रेल मानचित्रों तक पहुंच प्राप्त होगी, जिसका उपयोग करना आसान होगा। सुगमता से उपयोग और बेहतर अहसास दिलाने वाला होने के साथ-साथ यह गुणवत्ता के मामले में टिकाऊ भी होंगे।
डिजिटल उभरे अक्षर की प्रौद्योगिकी एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिसमें प्रिंटिंग प्लेट, मोल्ड, रसायन और सॉल्वेंट्स की जरूरत नहीं होती है। साथ ही, इसमें कोई प्रदूषक या अपशिष्ट भी नहीं निकलता है और ऊर्जा के कुल उपयोग में कमी आती है। यह नवोन्मेषी प्रौद्योगिकी भारत में पहली बार विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के संलग्न कार्यालय के रूप में कार्य कर रहे नेशनल एटलस एंड थीमैटिक मैपिंग ऑर्गनाइजेशन (एनएटीएमओ) ने पेश की और इसने ही इसका डिजाइन और कार्यान्वयन किया।
इस तकनीक का उपयोग करके मानचित्रों को तेजी से बनाना और ब्रेल मानचित्र बनाना भी संभव है जो कई वर्षों तक उपयोग किए जा सकते हैं। अनुभव के तौर पाया गया कि पहले की प्रौद्योगिकी से तैयार किए गए मानचित्रों में बहुत ही कम समय में ही उनकी पठनीयता और महसूस करने की शक्ति समाप्त हो गई है। इस संबंध में, यह भी उल्लेख करना जरूरी है कि ब्रेल समुदाय के विशेषज्ञों और छात्रों की प्रतिक्रिया से हमें एटलस के परिमाण में कमी, पठनीयता में वृद्धि, मानचित्रों और एटलस आदि को एक जगह से दूसरी ले जाने में आसानी को लेकर कम लागत वाले अत्याधुनिक उत्पाद तैयार करने को लेकर प्रोत्साहन मिला और हम इस दिशा में प्रेरित हुए।
एनएटीएमओ ने वर्ष 1997 में इस सफर का आरंभ किया, हालांकि, यह दृष्टिबाधित (भारत) के लिए अंग्रेजी ब्रेल लिपि में ब्रेल एटलस के 2017 संस्करण के प्रकाशन के साथ लोकप्रिय हो गया, जिसे दृष्टिबाधित समुदाय से काफी प्रतिक्रिया मिली। इसे एक स्वदेशी हस्तचालित उभरे अक्षर पद्धति के साथ विकसित किया गया था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस प्रकाशन के लिए एनएटीएमओ को ’दिव्यांगों के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप’ का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया, जिसे आधिकारिक तौर पर 10 फरवरी 2017 को नई दिल्ली में जारी किया गया था।
इसके साथ एनएटीएमओ को विभिन्न जगहों से ब्रेल एटलस की अप्रत्याशित और भारी मांग मिली और यह माना गया कि एनएटीएमओ इस क्षेत्र में अग्रणी संगठन है। इससे एनएटीएमओ को हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में ब्रेल एटलस तैयार करने के लिए प्रोत्साहन मिला है। साथ ही, इस संगठन ने विशेषज्ञों और संगठनों के परामर्श से भारत के विभिन्न राज्यों के ब्रेल एटलस तैयार करने की शुरुआत की है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोत्साहन और समर्थन के साथ, एनएटीएमओ ने अत्याधुनिक समाधान जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डिजिटल एम्बॉसिंग सॉल्यूशन के लिए स्पॉट यूवी कोटिंग की विधियों के साथ ब्रेल यूनिट विकसित की है। इस पूरी प्रक्रिया में डिजिटल प्लेटफॉर्म में शुरू से आखिर तक के समाधान शामिल है।
मुख्य रूप से विषयगत मानचित्र जीआईएस प्रौद्योगिकी का उपयोग करके डिजिटल प्लेटफॉर्म पर तैयार किए जाते हैं। फिर हार्ड कॉपी उत्पादों को सॉफ्ट शीट से लेमिनेट किया जाता है। सॉफ्ट लेमिनेटेड मैप्स को स्पॉट यूवी कोटिंग के लिए सही पंजीकरण के साथ एम्बॉसिंग डिजिटल डिवाइस पर रखा जाता है। मानचित्र की सॉफ्ट कॉपी को उभरे अक्षर के लिए अभिरुचि क्षेत्र में अलग किया जाता है। अंतिम ब्रेल मानचित्र प्राप्त करने के लिए 3डी अक्षर उभरने के लिए एआई प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है। दृष्टिबाधित छात्रों के लिए उपयोग करने में आसान बनाने के लिए पूरे मानचित्र का ढांचा सर्पिल रूप से मुड़ा हुआ होता है।
भारत के ब्रेल एटलस को अवधारणा के प्रमाण (पीओसी) के रूप में भारत के 323 स्कूलों में बांटा गया। इस प्रकाशन के साथ, एनएटीएमओ ने दृष्टिबाधित छात्रों, शिक्षकों और प्रशिक्षकों के बीच जागरूकता विकसित करने के लिए ब्रेल कार्यशालाओं और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया। वर्ष 2017 से 2019 तक, 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 97 स्कूलों के कुल 1409 छात्रों ने ब्रेल कार्यशालाओं और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।
अखिल भारतीय स्तर पर बड़े समुदाय की मांगों को पूरा करने की उम्मीद के साथ जल्द ही अनूठी ब्रेल समाधान इकाई शुरू की जाएगी।