सारस न्यूज़ टीम, सारस न्यूज़।
सरकार ने बीते दिनों टोल टैक्स वसूलने के लिए फास्टटैग सिस्टम लागू किया था। सूत्रों की मानें तो सरकार टोल वसूलने के लिए फास्टटैग सिस्टम को खत्म करने वाली है। उसके बदले एक हाईटेक सिस्टम लाने की तैयारी है जो फास्टैग से भी तेज और सटीक काम करेगा। यह नया सिस्टम सेटेलाइट नेविगेशन सिस्टम पर आधारित होगा। सूत्रों के मुताबिक नए सिस्टम पर काम शुरू हो गया है और इसका पायलट प्रोजेक्ट भी लॉन्च हो चुका है। इसे हरी झंडी मिलते ही फास्टैग की जगह पर नेविगेशन सिस्टम से टोल वसूली का काम शुरू कर दिया जाएगा। नए सिस्टम में किलोमीटर के हिसाब से या तय की गई दूरी के हिसाब से टोल टैक्स लिया जाएगा। यह नया सिस्टम है सेटेलाइट नेविगेशन सिस्टम की खासियत होगी कि इसमें उतना ही टोल कटेगा, जितनी आपने हाइवे पर दूरी तय की है।
अभी फास्टटैग में एक बार टोल टैक्स काटने का नियम है। अगर किसी हाइवे पर गाड़ी चलती है तो टोल प्लाजा पर एक निश्चित राशि फास्टैग अकाउंट से काट ली जाती है। इस राशि का सफर की दूरी या किलोमीटर से कोई वास्ता नहीं होता और वह टोल भी अगले टोल प्लाजा तक का वसूला जाता है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति अगले टोल प्लाजा से आधी दूरी ही तय करता है तो भी उसे पूरा टोल देना पड़ता है। इससे टोल महंगा पड़ता है। अभी देश में 97 फीसदी वाहनों से फास्टटैग के जरिए ही टोल वसूला जा रहा है। पर नेविगेशन सिस्टम लागू होने पर किलोमीटर के हिसाब से पैसा लिया जाएगा। नए सिस्टम में हाइवे या एक्सप्रेसवे पर जितने किलोमीटर का सफर तय होगा, उतने किलोमीटर का टोल टैक्स देना होगा।
ऐसी खबरें हैं कि नया सिस्टम लागू करने के लिए सरकार को ट्रांसपोर्ट पॉलिसी में कुछ बदलाव करने पड़ेंगे। नए सिस्टम को लागू करने के लिए चलाए जा रहे पायलट प्रोजेक्ट में अभी 1.37 लाख वाहनों को कवर किया गया है। इस प्रोजेक्ट पर रूस और दक्षिण कोरिया के एक्सपर्ट एक स्टडी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। इसके बाद केंद्र सरकार नए सिस्टम को लागू करने पर फैसला ले सकती है।
बताते चलें कि दुनिया के कई देशों में ये सिस्टम लागू है।खासकर जर्मनी में तो इस सिस्टम से ही अधिकतर टोल टैक्स वसूला जाता है।