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लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे होंगे देश के अगले थल सेना प्रमुख, पहली मई को जनरल एमएम नरवणे की लेंगे जगह

सारस न्यूज़ टीम, सारस न्यूज़।

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे देश के अगले थल सेना प्रमुख होंगे। केंद्र सरकार ने नए सेनाध्यक्ष के तौर पर उनकी नियुक्ति के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। वह इसी महीने 30 अप्रैल को रिटायर हो रहे सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की जगह एक मई को भारतीय सेना की कमान संभालेंगे। कई विशेष सैन्य आपरेशनों में हिस्सा ले चुके लेफ्टिनेंट जनरल पांडे इस समय देश के उप सेना प्रमुख हैं।

सरकार ने नए सेनाध्यक्ष की नियुक्ति में इस बार वरिष्ठता की कसौटी का पालन करना मुनासिब समझा है और लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे वर्तमान शीर्षस्थ अधिकारियों में सबसे वरिष्ठ हैं। खास बात यह भी है कि वह सेना प्रमुख के पद पर पहुंचने वाले का‌र्प्स आफ इंजीनियर ब्रांच के पहले अफसर हैं।

उप सेना प्रमुख बनने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल पांडे पूर्वी कमान के कमांडिंग आफिसर और अंडमान-निकोबार कमान के कमांडर इन चीफ का पद भी संभाल चुके हैं। सेना के काबिल अफसरों में शुमार किए जाने वाले पांडे सेना में अपनी सेवाओं के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल आदि से सम्मानित किए जा चुके हैं।
उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी और इंडियन मिलिट्री एकेडमी के जरिये 1982 में का‌र्प्स आफ इंजीनियर में बतौर सेना अधिकारी कमीशन हासिल किया था। वह ब्रिटेन के कैमबर्ले के स्टाफ कालेज का भी हिस्सा रहे और संयुक्त राष्ट्र के कई शांति मिशनों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने संसद पर हमले के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर आपरेशन पराक्रम में तैनाती के दौरान जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर 117 इंजीनियर रेजिमेंट का नेतृत्व भी किया था।
इसके बाद आर्मी वार कालेज महू से हायर कमांड कोर्स पूरा किया और मेजर जनरल बनने के बाद पश्चिमी लद्दाख में ऊंचाई वाले अभियानों में शामिल आठ माउंटेन डिवीजन की कमान संभाली। फिर सेना मुख्यालय में सैन्य अभियान निदेशालय में अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) के रूप में काम किया।

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ऐसे समय देश के सेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभालेंगे जब बीते दो साल से पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर चल रही सैन्य जटिलताएं अभी भी बनी हुई हैं। अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के नए खतरों की आशंकाएं कायम हैं तो मौजूदा रूस-यूक्रेन युद्ध के प्ररिप्रेक्ष्य में नई तरह की सामरिक चुनौतियों से रूबरू होना पड़ेगा। इनके बीच सेना का आधुनिकीकरण और जरूरी अस्त्र-शस्त्रों की यथाशीघ्र आपूर्ति नए सेना प्रमुख के लिए सबसे अहम होगी।

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