Saaras News - सारस न्यूज़ - चुन - चुन के हर खबर, ताकि आप न रहें बेखबर

वैज्ञानिकों ने लद्दाख से की लगभग 3.5 करोड़ वर्ष पुराने दुर्लभ सांप के जीवाश्म की खोज

May 13, 2022 #जीवाश्म

सारस न्यूज, वेब डेस्क।

वैज्ञानिकों ने हिमालय स्थित लद्दाख में पहली बार शीरे के निक्षेपों से एक मैडसोइइडे सांप के जीवाश्म की खोज के बारे में बताया है, जो उपमहाद्वीप में पूर्व के अनुमानों की तुलना में कहीं अधिक समय पहले उनके प्रचलन का संकेत देता है।

मैडसोइइडे मध्यम आकार के विशाल सांपों का एक विलुप्त समूह है, जो सबसे पहले देर से क्रिटेशस के दौरान प्रकट हुआ था और ज्यादातर गोंडवान भूमि में फैला हुआ था। हालांकि, उनका सेनोजोइक रिकॉर्ड काफी दुर्लभ है। जीवाश्म के रिकॉर्ड से ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर अधिकांश गोंडवान महाद्वीपों में पेलोजेन के मध्य काल में यह पूरा समूह गायब हो गया, जहां यह प्लीस्टोसिन के अंत तक अपने अंतिम ज्ञात समूह वोनाम्बी के साथ जीवित रहा।

डॉ. निंगथौजम प्रेमजीत सिंह (संबंधित लेखक), डॉ. रमेश कुमार सहगल, और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून, भारत से अभिषेक प्रताप सिंह तथा पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से डॉ. राजीव पटनायक और वसीम अबास वजीर के सहयोग से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़ के डॉ. नवीन कुमार और पीयूष उनियाल तथा कोमेनियस यूनिवर्सिटी स्लोवाकिया के डॉ. आंद्रेज सेरनांस्की ने पहली बार भारत के हालिया ओलिगोसीन (सेनोजोइक युग में तीसरे युग का हिस्सा, और हाल में लगभग 3.37 से 2.38 करोड़ वर्ष पूर्व तक) या लद्दाख हिमालय के शीरे के निक्षेप से मैडसोइइडे सांप का पता चलने के बारे में बताया है।

लद्दाख के ओलिगोसीन से मैडसोइडे की मौजूदी उनकी निरंतरता को कम से कम पैलियोजीन (भूगर्भीय काल और प्रणाली जो 6.6 करोड़ वर्ष पूर्व क्रिटेशस अवधि के अंत से 4.3 करोड़ वर्ष तक रही है) के अंत तक इंगित करती है। जर्नल ऑफ वर्टिब्रेट पेलियोन्टोलॉजी में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि इस समूह के सदस्य इस उपमहाद्वीप में पहले की तुलना में अधिक समय तक सफल रहे। वैश्विक जलवायु परिवर्तन और इओसीन-ओलिगोसीन सीमा (जो यूरोपीय ग्रांड कूपर से संबंधित है) के पार प्रमुख जैविक पुनर्गठन ने भारत में सांपों के इस महत्वपूर्ण समूह के विलुप्त होने का कारण नहीं था।

हालिया लक्षण का नमूना विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, वाडिया संस्थान के संग्राहक में रखा गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!