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औधोगिक नीति के अनुरूप बिजली न मिलने पर उत्पादन व लागत पर पड़ रहा है असर। बिजली आपूर्ति सही नहीं होने पर फैक्ट्री को बंगाल शिफ्ट करने को होंगे विवश

सारस न्यूज़ टीम, सारस न्यूज़।

एक ओर राज्य सरकार सूबे में उद्योग लगाने के लिए उद्यमियों को आमंत्रित कर रही है और कह रही है कि आप बिहार में उद्योग लगाए, आपको सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी, पर हाल यह कि जो उद्यमी पहले से यहां उद्योग लगाए बैठे हैं वो इसे बंद करने के कगार पर खड़े हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यहां संचालित फैक्ट्रियों को बिहार औद्योगिक नीति के अनुरुप बिजली नहीं मिलना है। ठाकुरगंज प्रखंड में संचालित चार चाय फैक्ट्रियां, एक स्टार्च फैक्ट्री, एक फ्लाई ऐश ब्रिक्स फैक्ट्री के अलावा एक अनमोल बिस्कुट फैक्ट्री निर्माणाधीन है, में बमुश्किल आठ से दस घंटे ही बिजली मिल पा रही है। हद तो तब है जब एक तरफ कृषि मंत्री शनिवार को किशनगंज जिले में बिहार की चाय की परिचर्चा कार्यक्रम में क्षेत्र में उद्योग लगाने की बात कह रहे हैं तो वहीं उनके जाने के बाद क्षेत्र में 24 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी बिजली आपूर्ति नहीं हुई हैं जिस कारण चाय उत्पादन के साथ साथ अन्य चीजों के उत्पादन पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। ऐसे में फैक्ट्री संचालकों ने फैक्ट्री को यहां से हटाकर प्रखंड से सटे बंगाल की सीमा में शिफ्ट करने की बात करने लगे हैं। यह समस्या बार बार  फैक्ट्रियों संचालकों के समक्ष आता है। इस समस्या के स्थायी निदान के लिए प्रखंड से जिला व जिला से राज्य स्तर पर रखी गई हैं पर स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। बिजली की समस्या से जूझ रहे चाय व अन्य उद्योग से जुड़े उद्यमियों ने सरकार से औद्योगिक नीति के अनुरूप 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने की मांग की है, अन्यथा मजबूरन अपने उद्योग बंद कर पश्चिम बंगाल जाने के लिए विवश होना पड़ेगा।

प्रखंड ठाकुरगंज के  पिपरीथान में अवस्थित अभय टी कंपनी लिमिटेड के निदेशक कुमार राहुल सिंह ने कहा कि राज्य में निवेश हेतु मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2011 में मास्को (रूस) दौरे पर गए थे। जहां अप्रवासी भारतीय को राज्य में उद्योग लगाने व पूंजी निवेश हेतु  आयोजित कार्यक्रम से प्रभावित होकर ही उन्होंने यहां चाय फैक्ट्री लगाई थी। उस वक्त राज्य सरकार ने राज्य में उद्योग लगाने के लिए अलग औद्योगिक लाइन के माध्यम से 24 घंटे विद्युत आपूर्ति की बात कही गई थी। लेकिन यहां बमुश्किल से आठ से दस घंटा बिजली ही दी जा रही है। इसके लिए विद्युत विभाग के कनीय से लेकर वरीय अधिकारियों से कई बार बदहाल आपूर्ति की व्यवस्था को सुधार करने की गुहार लगाई थी। लेकिन आज तक इसकी सुधि नहीं ली गई हैं। उन्होंने कहा कि यहां से मात्र 02 किमी की दूरी पर स्थित पश्चिम बंगाल राज्य में हर छोटे-बड़े उद्योग को पर्याप्त मात्रा में बिजली मिलती है पर यहां की बिजली आपूर्ति की लचर व्यवस्था से उद्यमियों का मोहभंग हो रहा है। बिजली की लचर व्यवस्था के कारण नये उद्योग लगने के बजाय उद्यमी यहां से कारोबार बंद कर पश्चिम बंगाल राज्य की ओर रुख करने पर विचार कर रहे हैं।  उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र में बिजली का महत्वपूर्ण स्थान है। उत्पादन के वक्त दर्जनों बार बिजली ट्रिप करती है। जिस कारण उत्पादन व गुणवत्ता में काफी बुरा असर पड़ता है। बिजली न मिलने से डीजल की खपत बढ़ती है। जिससे राज्य सरकार को राजस्व की हानि तो होती ही है साथ ही चाय उत्पादन का लागत भी बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि भौगोलिक व परिवहन दृष्टिकोण तथा तीन देशों की अंतरराष्ट्रीय प्रक्षेत्र होने के कारण यहां उद्योग लगाने की असीम संभावनाएं हैं। यदि पर्याप्त मात्रा में बिजली मिलने लगे तो यह क्षेत्र राज्य के एक बड़े औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित हो सकता हैं।जिससे स्थानीय लोगों का पलायन रुकेगा और स्थानीय सैकड़ों लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

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