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बाल हृदय योजना:-
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राज्य मे जन्म लेने वाले बच्चों के स्वास्थय का ध्यान रखते हुए बाल हृदय योजना को शुरु करने की घोषणा की गई है। इस योजना के तहत हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों को इलाज की सुविधा दी जाएगी और उनके इलाज मे होने वाला सारा खर्च राज्य सरकार द्वारा उठाया जाएगा। ये योजना सात निश्चय -2 के तहत मंजूर की गई है, जिसे जनवरी महीने से शुरू किया जाएगा। ये योजना उन अभिभावको के लिए संजीवनी का कार्य करेगी, जो आर्थिक तंगी के कारण अपने बच्चो का इलाज करवाने में असमर्थ हैं। इस नई योजना से हृदय रोगी बच्चो की मृत्यु दर मे भी कमी आएगी और उनके स्वास्थय को बेहतर बनाने मे स्वास्थय विभाग अपनी भुमिका निभाएगा।
बाल हृदय योजना को शुरु करने का मुख्य कारण:-
बिहार राज्य मे गरीब वर्ग से संबंधित परिवार वाले बाल हृदय से पीड़ित बच्चो की बिमारी का इलाज करबाने में असमर्थ होते हैं। ऐसे में उनके पास उतने पैसे अर्जित नहीं हो पाते हैं कि वे अस्पताल मे जाकर अपने बच्चो का इलाज करवा पाएं। गरीव होने के कारण उन्हे कहीं से भी सहायता नहीं मिलती है। जिसके चलते बाल हृदय पीडित बच्चे अकसर मृत्यु का शिकार हो जाते हैं। उनकी इस समस्या का समाधान करने के लिए ही राज्य मे बाल हृदय योजना को शुरु किया गया है। गरीब से गरीब व्यकित भी इस बिमारी से पीडित अपने बच्चो का इलाज अस्पताल मे करवा सकेगें। इससे मृत्यु दर मे कमी आएगी और बच्चो का स्वास्थ बेहतर बनेगा।
किशनगंज जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग द्वारा संक्रमण काल में लोगों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दे रहा है। इसी क्रम में शनिवार को सदर अस्पताल से एम्बुलेंस द्वारा पटना एयरपोर्ट के लिए दो बच्चों को हार्ट सर्जरी के लिए अहमदाबाद रवाना किया गया। बहादुरगंज प्रखंड के मलिका रानी (10 वर्ष) और दिघलबैंक प्रखंड के इरम आरजू (4वर्ष), जन्म से ही दिल में छेद की समस्या से ग्रसित हैं।