डॉ अखिलेश के फेसबुक वाल से – https://www.facebook.com/DrAKHIL4U
ऐसी अनगिनत घटनाएं हमारे आस पास घटती रहती है जिसे हम एक और खबर मानकर थोड़ा अफसोस जाहिर कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। क्या कभी ठहर कर इसकी गंभीरता पर चिंतन व विमर्श करते हैं? ये सारी खबरे बहुत गंभीर और चिंताजनक हैं जो हमारे गिरते मानव मूल्यों व बद से बदतर हो चली शासन व्यवस्था को प्रतिबिंबित करती है। इसे हल्के में कदापि नहीं लिया जा सकता है। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमें ऐसी खबरों के प्रति गंभीर होना पड़ेगा तभी इसमें कमी होने की उम्मीद कर सकते हैं हम। स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि अब नजरअंदाज का दुष्परिणाम वीआईपी लोगों तक पहुंचने लगा है। लोगों से जब मैं बातें करता हूं तो अक्सर वे कहते हैं क्या किया का सकता है ? मेरा यही कहना है लोग सवाल करना शुरू करे। आम जनता अपने स्थानीय जन प्रतिनिधियों, विधायकों , सांसदों, मंत्रियों से सवाल करे। विधायकों और सांसदों को भी अब पार्टी एजेंट की भूमिका से ऊपर उठकर जनहित में सदन में खुलकर सवाल करने चाहिए और जनहित के मुद्दों पर पार्टी से ऊपर उठकर दूसरे पार्टी वाले के सवालों और मुद्दों का समर्थन भी करना चाहिए। उन्हें मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से जनता की खातिर सवाल पूछना चाहिए। इतनी तो आजादी लोकतंत्र में होनी ही चाहिए कि MLA और MP अपने CM तथा PM से सवाल कर सके। जैसे ही ये परंपराएं शुरू होगी, आपके आस पास की अधिकांश समस्याएं खत्म होना शुरू हो जाएगी। नागरिक आधिकारों का सम्मान होने लगेगा और धीरे धीरे वह शासन व्यवस्था मूर्त रूप लेने लगेगी जिसकी हम सब कामना करते हैं।
