बीरबल महतो, सारस न्यूज़, किशनगंज।
दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 40वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला में पूर्णिया के मखाने की धूम है। कोसी-सीमांचल से एक मात्र लघु उद्यमी मनीष कुमार का चयन अंतरराष्ट्रीय मेले में स्टॉल लगाने के लिए भारत सरकार द्वारा किया गया है। मेले में मखाना का यह एकमात्र स्टाल लोगों को खूब आकर्षित कर रहा है। गुणवत्तापूर्ण और कम दर के कारण दिल्ली में मनीष के मखाने की खूब मांग हो रही है। मनीष के स्टाल पर रोजाना तीन-चार दर्जन लोग मखाना के लिए पहुंच रहे हैं। जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक संजय कुमार वर्मा ने बताया कि मनीष कुमार सफल लघु उद्यमी हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा ऋण योजना की मदद से उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में रोस्टेड मखाना की कुशवाहा फार्म-टू-फैक्ट्री की स्थापना की है। उनके उत्पाद की मांग लगातार बढ़ रही है। कोसी-सीमांचल में मखाना का होता है सबसे अधिक उत्पादन : सीमांचल और कोसी में देश के कुल मखाना का 70 फीसद उत्पादन हो रहा है। 15 फीसद मखाना का उत्पादन दरभंगा और मधुबनी में होता है। बिहार के दस जिलों पूर्णिया, कटिहार, अररिया, सहरसा, किशनगंज, सुपौल, मधेपुरा, दरभंगा, मधुबनी एवं सीतामढ़ी में 35 हजार हेक्टेयर में मखाने की खेती हो रही है। इसका सालाना कारोबार करीब 800 करोड़ का है। विश्व में कुल मखाना का 85 फीसदी उत्पादन बिहार के इन दस जिलों में होने के बावजूद यहां के मखाने को विश्वस्तरीय पहचान नहीं मिल पाई है।
पोषक तत्वों से भरपूर है मखाना :
मखाना में प्रोटीन, विटामिन बी के साथ आयरन, कैल्शियम आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। भोला पासवान शास्त्री कृषि कालेज के प्राचार्य डा. पारसनाथ ने बताया कि 100 ग्राम मखाना में 9.7 फीसद प्रोटीन, 76 फीसद कार्बोहाइड्रेट, 1.4 मिलीग्राम आयरन के अलावा कैल्शियम, विटामिन बी एवं कैलोरी भरपूर मात्रा में पाई जाती है। चिकित्सक बताते हैं कि सेहत के लिए मखाना काफी लाभदायक है। डा. एनके झा बताते हैं कि मखाना में एंटीआक्सीडेंट काफी मात्रा में पाए जाते हैं। किडनी और हर्ट के मरीजों के लिए मखाना काफी लाभकारी है।