बीरबल महतो, सारस न्यूज़।
पटना हाईकोर्ट ने जमानत मामलों में आपराधिक इतिहास छिपा कर कोर्ट से जमानत लेने वाले आरोपियों पर कड़ा रुख अपनाया है। पटना हाई कोर्ट ने कहा कि अब प्रत्येक निचली अदालत को किसी भी जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान आरोपी का लोक अभियोजक (पीपी) या अनुसंधानकर्ता (आईओ) से उसके आपराधिक इतिहास की पूरी जानकारी लेनी होगी। निचली अदालतों को यह दर्ज करना होगा कि आरोपी के खिलाफ पहले से कितने आपराधिक मामले दर्ज हैं। हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि निचली अदालत अब लोक अभियोजक या पुलिस पदाधिकारियों से मिले आपराधिक इतिहास एवं अन्य जरूरी मापदंडों के आधार पर ही आरोपित की जमानत याचिका को मंजूर या खारिज करेगी। ऐसे में अब जमानत लेना आसान नहीं होगा। न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने अनिल बैठा की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया। उल्लेखनीय है कि आपराधिक इतिहास छिपा कर गलत तरीके से जमानत लेने वालों पर शिकंजा कसने के लिए हाई कोर्ट ने ऐसा आदेश दिया। हाईकोर्ट ने इस आदेश की प्रति सभी जिला न्यायालयों को देने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अब प्रत्येक निचली अदालत को किसी भी जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान आरोपी का लोक अभियोजक या अनुसंधानकर्ता से उसके आपराधिक इतिहास की पूरी जानकारी लेनी होगी।