शशि कोशी रोक्का, सारस न्यूज़, किशनगंज।
किशनगंज बिहार पंचायत चुनाव का घोषणा होते ही ग्रामीण क्षेत्रों में चुनावी माहौल गर्म है। हर पंचायत में कोई नया मुखिया के तलास में है, तो कोई वार्ड सदस्य को बदलने का सोच रहे है, कोई चाह रहे है कि वही मुखिया फिर से जीते तो कोई चाह रहे है, कि वही वार्ड सदस्य हमारा प्रतिनिधित्व करें। आखिर मुठ्ठी भर पंचायत में लोगों का मिजाज इतना अलग अलग क्यों है। यहाँ सवाल यह है कि ऐसी अलग-अलग विचारधाराएं होने का कारण क्या है इसके कई कारण हो सकते है। लेकिन एक कारण यह भी है, कि लोग जिन्हें चुनते है वही अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभा नही पा रहे है, और लोगों का मूड बदलाव के तरफ़ हो जाता है लेकिन सत्ता के लालची जनप्रतिनिधि अपने नाकामियों को दूर न करके लोगों को चंद पैसे का लालच देने का सोच लेते है, और यही से पंचायत की विकास की गति बन्द हो जाती है। लोग चंद रुपया के चक्कर मे उन्हें वोट दे देते है, जिन्हें वह पसन्द नही करते और जीत के बाद वही प्रतिनिधि अपने खर्च की हुई रकम को वसूलने में लग जाते है, और पंचायत का विकास जैसे की तैसी रह जाती है। जरूरत है पंचायत चुनाव में ऐसे विचारधाराओं को खत्म करने की ताकि एक सही व्यकि को आप चुन सके जो ईमानदार हो पढ़ा लिखा हो जो आपके समस्याओं को जिला प्रशासन के समक्ष रख सके। जो प्रतिनिधि पैसा के बल पर वोट मांगे उन्हें तो हरगिज वोट न दे एक ऐसे प्रतिनिधि को चुने जो पंचायत व ग्राम सभा की नियमों औऱ पावर को जनता हो।