बीरबल महतो, सारस न्यूज़, किशनगंज।
बिहार में इस बार का नगर निकाय चुनाव काफी अलग होगा। मेयर-डिप्टी मेयर और मुख्य पार्षद व उप मुख्य पार्षद के लिए प्रत्यक्ष चुनाव होने से मतदाताओं को तीन पदों के लिए वोटिंग करनी होगी। हर मतदाता को अपने वार्ड पार्षद के साथ ही मेयर व डिप्टी मेयर अथवा मुख्य पार्षद व उपमुख्य पार्षद के लिए भी वोट देना पड़ेगा। अभी तक वह सिर्फ वार्ड पार्षद ही चुनते थे।
कई शहरी निकायों में दो साल बाद आने वाले अविश्वास प्रस्ताव के नाम पर भी पैसों का खूब खेल होता है, मगर अब नए संशोधन से यह प्रचलन रुकेगा। बता दें कि गुरुवार को ही बिहार नगर पालिका संशोधन अध्यादेश 2022 को राजभवन द्वारा मंजूदी दी गई है। बिहार नगरपालिका (संशोधन) अध्यादेश 2022 जारी होने के बाद इसकी नियमावली को लेकर भी तैयारियां तेज हो गई हैं। इस बार नगर निकाय चुनाव अप्रैल-मई में संभावित है। मेयर और डिप्टी मेयर के लिए अलग से नामांकन लिया जाएगा जबकि वार्ड पार्षद के लिए पहले की तरह अलग नामांकन होगा। जनता के माध्यम से सीधे चुने जाने वाले मेयर-डिप्टी मेयर के किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं होंगे। नगर पालिका कानून में संशोधन से शहरी निकायों के प्रमुख के चुनाव में पारदर्शिता आएगी। चुनाव के बाद मेयर-डिप्टी मेयर और मुख्य पार्षद-उप मुख्य पार्षद के लिए होने वाली नियुक्ति में हार्स ट्रेडिंग पर रोक लगेगी। वर्तमान में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड में भी मेयर-डिप्टी मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होता है। दक्षिण भारत के भी कई राज्यों की जनता सीधे महापौर और उप महापौर चुनती है।