सारस न्यूज टीम, पटना।
केंद्र सरकार की अमृत सरोवर योजना पर बिहार में पहल तेज हो गई है। राज्य सरकार के स्तर से प्रत्येक जिले में 75-75 तालाबों को चिह्नित करने का काम शुरू कर दिया गया है। पहले चरण में केंद्र के दिशा-निर्देश के अनुसार ग्रामीण विकास विभाग ने पांच बलिदानियों के गांवों को चिह्नित किया है, जहां एक-एक एकड़ में तालाब बनाए जाएंगे। चरणवार प्रदेश में 2,850 तालाब विकसित किए जाएंगे। तालाबों के किनारे पौधारोपण होगा और हर वर्ष 15 अगस्त और 26 जनवरी को राष्ट्रध्वज (तिरंगा) फहराया जाएगा। इस दौरान बलिदानियों के स्वजनों को सम्मान के साथ बुलाया जाएगा।
अमृत सरोवर के किनारे नीम, पीपल और बरगद आदि के पेड़ लगाए जाएंगे। भू-गर्भ जल के अत्यधिक दोहन और बारिश में निरंतर कमी के कारण बिहार में तालाबों पर असर पड़ा है। इस योजना से जल संरक्षण के प्रयासों को प्रोत्साहन मिलेगा। महत्वपूर्ण यह कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जल- जीवन- हरियाली अभियान के तहत विकसित किए जा रहे तालाबों से ये पूरी तरह अलग होंगे। किसी भी सूरत में जल- जीवन- हरियाली अभियान वाले तालाबों को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा।
दरअसल, भू-गर्भ जल के अत्याधिक दोहन के कारण तालाब सूखने की कगार पर हैं। अतिक्रमण के शिकार होकर कई तालाब अस्तित्व भी खो चुके हैं। ऐसे में उन्हें अमृत सरोवर के रूप में विकसित करने से जल संचयन को प्रोत्साहन मिलेगा। देश में 50 हजार और बिहार में 2,850 तालाब अमृत सरोवर के रूप विकसित किए जाएंगे। केंद्र सरकार के निर्देश पर ग्रामीण विकास विभाग ने पहले चरण में पांच जिलों के पांच गुमनाम बलिदानियों के गांवों को चिह्नित कर लिया है। इसमें भोजपुर (आरा) जिले में वीर कुंवर सिंह के गांव जगदीशपुर, कटिहार जिले में धु्रव कुंडू, नवादा जिले में सैयद मो. शरफुद्दीन कादरी के गांव, सीतामढ़ी जिले में राम प्रताप यादव और ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा के गांव के अलावा कैमूर जिले में सुकालू लोहार के गांव में अमृत सरोवर बनाया जाएगा। इसके रखरखाव के भी पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। सरोवर को गंदे पानी से बचाने के लिए कार्ययोजना में स्पष्ट प्रविधान किया जाएगा। साथ ही जलीय जीवों की मौजूदगी के उपाय किए जाएंगे। सुविधानुसार नौकायन भी कराया जाएगा।