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बिहार में जाति आधारित गणना का रास्‍ता साफ, सर्वदलीय बैठक में सभी पार्टियों ने दी सहमति।

सारस न्यूज टीम, पटना।

बिहार में जाति आधारित गणना का रास्‍ता साफ हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बुधवार को मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद में आयोजित सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से राज्य में जाति आधारित गणना कराने का फैसला लिया गया। सरकार कैबिनेट की अगली बैठक में प्रस्ताव पास कराएगी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने बैठक में शामिल सभी दलों के नेताओं को मीडिया से रूबरू कराते हुए घोषणा की कि बिहार सरकार जाति आधारित सभी धर्मो की जातियों एवं उपजातियों की गणना जल्द कराएगी। पहले कैबिनेट में प्रस्ताव पारित किया जाएगा। यह गणना करने वाला बिहार दूसरा राज्य होगा। इससे पहले कर्नाटक ने जातीय सर्वे कराया था, लेकिन उसकी रिपोर्ट अभी तक पब्लिश नहीं हुई है।

बिहार में जाति आधारित गणना पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में करीब डेढ़ घंटे तक बैठक चली। इसमें सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने सर्वसम्मति से जाति आधारित गणना कराने की सहमति दी और अपने-अपने सुझाव भी दिए। 9 से 10 महीने में जातिगत जनगणना पूरा करने पर सहमति बनी। पत्रकारों से बातचीत में नीतीश कुमार ने कहा कि हम लोगों ने इसका नाम जाति आधारित जनगणना दिया है। सभी 9 दलों ने इस पर फैसला लिया है। किसी तरह से कोई मतभेद नहीं है। हम लोगों ने अपनी तरफ से केंद्र सरकार से अनुरोध किया था, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला था, इसलिए हमने खुद से कराने का निर्णय लिया। इस कार्य के लिए वित्तीय व्यवस्था भी की जाएगी। जातीय गणना कराने को लेकर विज्ञापन भी दिया जाएगा। सभी दलों को जानकारी दी जाएगी। इसको लेकर अधिकारियों को लगाया जाएगा। कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कैबिनेट से प्रस्ताव पारित करने के बाद जाति आधारित जनगणना पर कार्य शुरू हो जाएगा। एक समय सीमा के भीतर इसे पूरा करा लिया जाएगा। समय भी बहुत कम रखा जाएगा। गणना के लिए विशेष ट्रेनिंग भी कराई जाएगी। जातिगत जनगणना की प्रक्रिया पूरी होने के बाद आंकड़ों को प्रकाशित भी किया जाएगा। ताकि लोगों को इसकी पूरी जानकारी मिल सके। जाति के साथ ही सभी संप्रदायों की जातियों और उपजातियों की गणना की जाएगी। इसका मुख्य मकसद लोगों को आगे बढ़ाना है। जाति गणना के लिए जैसे-जैसे काम होता रहेगा, उसका अपडेट सभी पार्टियों को दिया जाएगा और डीएम नोडल अधिकारी बनाये जायेंगे। जाति जनगणना से कई उप जातियों की पहचान होगी और मुसलमानों के भीतर भी जातीय जनगणना से उपजाति निकल कर आयेंगे।

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