सारस न्यूज टीम, पटना।
राज्य सरकार ने राज्य के संसाधनों से जाति आधारित गणना कराने का प्रस्ताव स्वीकृत कर दिया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को हरि झंडी मिल गई है। बिहार अपने संसाधनों से ही जाति आधारित गणना कराएगा। इसमें करीब 500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस दौरान राज्य में सभी धर्मों की जातियों एवं उपजातियों की भी गिनती होगी। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में कुल 14 एजेंडों पर मुहर लगाई गई।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने बताया जाति आधारित गणना सामान्य प्रशासन विभाग कराएगा। जिलों में नोडल अफसर पद का जिम्मा जिलाधिकारी को दिया गया है। गणना में पंचायत राज्य विभाग के कर्मियों का सहयोग भी लिया जा सकेगा। जाति गणना के दौरान आर्थिक गणना की भी कोशिश होगी। आमिर सुबहानी ने बताया फरवरी 2023 तक गणना का काम पूरा करने का लक्ष्य है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बुधवार को संवाद कक्ष में आयोजित सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से राज्य में जाति आधारित गणना कराने का फैसला लिया गया था। विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी नौ दलों के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से जाति आधारित गणना कराने की सहमति दी थी। बिहार में सभी धर्मों की जातियों एवं उपजातियों की गणना कराए जाने की बात सीएम ने कही थी। बता दें कि कर्नाटक के बाद जातीय जनगणना कराने वाला बिहार दूसरा राज्य बन जाएगा। गणना कराए जाने में नौ से 10 महीने का समय लगेगा। प्रक्रिया पूरी होने के बाद आंकड़ों को प्रकाशित किया जाएगा