बीरबल महतो, सारस न्यूज़, किशनगंज।
बिहार में मंदिरों और मठों के नाम दान की गई जमीन की रजिस्ट्री देवी-देवताओं के नाम की जाएगी। अगर हमारे पूर्वजों ने जमीन को मंदिर के नाम पर दान कर दिया है, तो उस पर अधिकार मंदिर का होगा। सेवादार उसके सिर्फ सेवक रहेंगे। उसका स्वामित्व किसी व्यक्ति विशेष का ना होकर अब देवताओं के ही नाम होगा। इसके लिए सरकार के विधि विभाग की ओर से सर्वेक्षण शुरू करा दिया गया है, ताकि मंदिर की जमीन के आधिपत्य को लेकर झगड़ा-झंझट नहीं हो। शनिवार को गन्ना उद्योग व विधि विभाग के मंत्री प्रमोद कुमार ने संवाददाता सम्मेलन ये बातें कहीं। दरअसल बिहार में जमीन के झगड़े कानून-व्यवस्था के लिए बड़ा मसला हैं। इसे देखते हुए सरकार जमीन को लेकर कई तरह के सुधार कर रही है।
मंत्री ने बताया कि जमीन चिन्हित कर निबंधन के लिए प्रस्ताव पटना स्थित धार्मिक न्यास पर्षद को भेजना है। राज्य के सभी जिले के अंचलाधिकारी व उप समाहर्ता, भूमि सुधार को निर्देश दिया गया कि किसी जमीन पर अवैध दखल-कब्जा अथवा किसी दूसरे के नाम से निबंधित किया गया है, तो संबंधित के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि अब ऐसी जमीन किसी व्यक्ति या निजी संस्था के नाम नहीं रहेगी। प्रदेश के विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने इस संदर्भ में यह निर्णय बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद और न्यास परिषद से विमर्श के बाद लिया है। 1905 के बाद पहली बार सभी मठ-मंदिरों की जमीन का सर्वे होगा।
जानकारी के मुताबिक बिहार में मंदिर के नाम पर हजारों बीघा जमीन दी गयी है। इस तरह की जमीन पर काबिज भू माफिया के खिलाफ अभियान चलाया जायेगा। विधि विभाग के निर्देश के बाद मंदिर की जमीन पर कब्जा जमाने वाले लोगों की पहचान भी शुरू कर दी गयी है। उन पर कानूनी शिकंजा कसी जाएगी।