सारस न्यूज टीम, बिहार।
दूसरे राज्यों या प्रदेश में रेस्क्यू किये गये बाल श्रमिकों के घरों तक अधिकारी को जाकर उनका हाल जानना होगा। यह निर्णय हाल के दिनों में बाल श्रमिकों की दूसरे राज्यों में बढ़ी संख्या को देखते हुए समाज कल्याण व श्रम संसाधन विभाग ने संयुक्त रूप से लिया है। इस संबंध में श्रम संसाधन विभाग ने दूसरे राज्यों के श्रम संसाधन विभाग के अधिकारी से पत्राचार भी किया है। ताकि बिहार से चोरी-छुपे दूसरे राज्यों में भेजे जाने वाले बच्चों की पहचान हो सके और उन्हें बाल श्रम से बचाया जा सके।
बिहार के विभिन्न जिलों से रेस्क्यू कर लाये गये बच्चों को विशेष आवासीय प्रशिक्षण केंद्र में रखा जाता है। ताकि वह शिक्षा से जुड़ सकें। हाल के दिनों में दूसरे राज्यों से रेस्क्यू करके लाये गये बच्चों ने अधिकारियों को बताया कि उनके परिवार के लोग ही उन्हें काम के लिए कारखानों में भेजते हैं। इनमें से कुछ बच्चे ऐसे भी थे जिन्हें पहले भी रेस्क्यू किया गया जा चुका था। श्रम संसाधन विभाग के आंकड़ों को देखें, तो 2020-21 में 466 बाल मजदूरों को रेस्क्यू किया गया। गया से 76, वैशाली 50 और पूर्वी चंपारण से 45 बच्चों को मुक्त कराया गया है।
दोबारा से बाल मजदूरी के लिए भेजने वालों पर होगी कार्रवाई
विभाग वैसे परिवार को भी चिह्नित करेगा जो रेस्क्यू के बाद घर पहुंचाये गये बच्चों को फिर से बाल मजदूरी के लिए भेज देते हैं। ऐसे लोगों की पहचान होने पर उनके ऊपर नियम अनुसार कार्रवाई होगी।
रेस्क्यू बाल मजदूर
- 2016-17—410
- 2017-18 — 967
- 2018-19 —1045
- 2019-20— 750
- 2020-21— 466
- 2021-22— 345
कार्यरत विशेष आवासीय प्रशिक्षण केंद्र व बच्चों की संख्या
- पटना —100
- जमुई — 72
- बांका —78
- गया — 54
- यहां खुलेगा आवासीय प्रशिक्षण केंद किशनगंज नवादा, सारन,सीतामढ़ी व मुजफ्फरपुर
