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बीपीएससी पेपर लीक कांड परीक्षा से 46 मिनट पहले गिरोह के पास आ गया था पेपर। छात्रों से आठ से 10 लाख रुपये तक वसूल लिए थे।

सारस न्यूज टीम, पटना।

बीपीएससी पेपर लीक कांड केस में गिरोह द्वारा 8 से 10 लाख रुपए लेकर छात्रों को वाट्सऐप पर पेपर सॉल्व करने के बाद भेजे जाने का खुलासा भी हुआ है. बीपीएससी पेपर लीक कांड की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई की टीम को इस केस में फिलहाल कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं।

पटना. बिहार में बीपीएससी पेपर लीक कांड की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई की टीम को कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं. पिछले 8 मई को 67वीं प्रारंभिक परीक्षा दोपहर 12 बजे से शुरू होनी थी लेकिन पकड़े गए गिरोह के पास 46 मिनट पहले यानी 11 बज कर 14 मिनट पर ही प्रश्न पत्र पहुंच चुका था. आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने जब गिरोह के सदस्यों के मोबाइल को खंगाला तब उसे इस बात की जानकारी मिली हैं।

आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने जांच में यह पाया कि अभियुक्तों के मोबाइल में C सेट का वायरल प्रश्न पत्र मौजूद था. इस सेट को गिरोह के सदस्यों द्वारा कई छात्रों को व्हाट्सएप के माध्यम से भेजा गया था. इसके बदले में गिरोह के सदस्यों ने छात्रों से आठ से 10 लाख रुपये तक वसूल लिए थे, हालांकि वायरल प्रश्न पत्र गिरोह के सदस्यों के पास कैसे और कहां से आया इस गुत्थी को सुलझाना अभी आर्थिक अपराध इकाई के लिए एक चुनौती बनी हुई है. आर्थिक अपराध इकाई के अधिकारियों की मानें तो इस मामले में कई लोगों पर संदेह है और उनकी तलाश के लिए छापेमारी की जा रही है।

जांच दल जल्द ही इस पूरे मामले का भंडाफोड़ करेगा. जांच टीम के सदस्यों की मानें तो लोहानीपुर के काशीनाथ लेन के जिस मकान में कंट्रोल रूम का पर्दाफाश हुआ है, वहीं वायरल प्रश्न पत्र को स्कॉलर के माध्यम से सॉल्व कराया गया था. मकान में बैठे स्कॉलर धड़ाधड़ प्रश्न सॉल्व कर रहे थे ताकि परीक्षा शुरू होने के परीक्षार्थियों तक पहुंचा दिया जाए. जांच टीम गिरफ्तार अभियुक्तों की निशानदेही पर स्कॉलर छात्रों की गिरफ्तारी में जुट गई है।

इस पूरे मामले में बीपीएससी के कर्मियों की भूमिका की भी जांच तेज कर दी गई है. परीक्षा शुरू होने का के काफी पहले प्रश्न पत्र लीक हो जाने के कारण बीपीएससी पर सवाल खड़ा होना लाजमी है. आर्थिक अपराध इकाई की जांच टीम बीपीएससी के अफसरों और कर्मियों से लगातार पूछताछ में जुटी हुई है. जांच टीम की मानें तो बीपीएससी भी अपने स्तर से इसकी जांच करवा रहा है. उसने अपनी रिपोर्ट भी सौंपी है और कई कर्मियों के मोबाइल की जांच की गई है और तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से अनुसंधान किया जा रहा है.।

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