सारस न्यूज, गलगलिया, किशनगंज।
भारत-नेपाल के रिश्ते पूर्व की तरह अब मधुर नहीं रहा। दोनों देश के बीच बेटी-रोटी के संबंध कमजोर पड़ने लगे हैं। नेपाल के मधेसी समुदाय और भारत में सीमा के नजदीक रहने वाले लोगों में एक-दूसरे के यहां शादी करना आम बात है।ऐसे तो कई रिश्तेदारियां वहां हैं मगर, कोरोना महामारी में दो साल सीमा बंद होने से हुई परेशानी से नए संबंध को लेकर लोगों ने अब सोचना बंद कर दिया है। जब महामारी समाप्त हुई तो सीमा को फिर से खोल दिया गया ताकि दोनों देश के सीमावासियों का आवागमन रिश्तेदारों से मधुर मिलाप और रोजमर्रे की जरूरत पूरा हो सके। मगर एसएसबी इसमें बाधक बन रही है। आवागमन करने वालों के साथ इस तरह से सख्ती बरती जा रही है कि दोनों ओर के लोग अब आवागमन से कतराने लगे हैं। जिससे सीमावर्ती क्षेत्र का बाजार ठप्प होता जा रहा है। सीमावासियों का कहना है कि कस्टम चेक पोस्ट के कर्मियों द्वारा बिना लोगों को परेशान किये विधिवत जाँच की जाती है मगर एसएसबी अपने सेवा, सुरक्षा व बंधुत्व भावना से भटक कर जाँच इतनी सख्त कर दी है कि नेपाल के शांति प्रिय व अच्छे लोग दो-चार सौ रुपये का अपने रोजमर्रे की जरूरत का सामान भी नही खरीदते जिससे छोटे-छोटे व्यसाय भी प्रभावित हो रहे हैं। यदि आवागमन कर रहे दो पहिया वाहन में पीछे बैठा व्यक्ति अगर बिना हेलमेट है तो उसे उतार कर एसएसबी द्वारा पैदल सीमा पार भेजी जाती है, जिससे भारत-नेपाल के संबंधों में खटास पैदा हो रही है। किशनगंज जिले के गलगलिया-भद्रपुर सीमा पर नेपाल भंसार कार्यालय के आंकड़े के अनुसार पहले लगन के दिनों में भारतीय क्षेत्र से करीब 25 से 30 बरात नेपाल जाती थी। और इतनी ही संख्या में बरात नेपाल से भारत भी आती थी, मगर अब यह घटती जा रही है।
कड़वाहट दूर करने के हो रहे प्रयास:
भारत-नेपाल मैत्री संघ, उद्योग संघ झापा नेपाल, नेपाल-इंडो मैत्री संघ के सदस्यों की प्रतिनिधि मंडल एवं गलगलिया कस्टम अधिकारियों के बीच विगत 03 मार्च को बैठक हुई थी, और इस बैठक में नेपाल के प्रतिनिधि मंडल द्वारा कस्टम कमिश्नर पटना को गलगलिया कस्टम के माध्यम से ज्ञापन सौंपकर गलगलिया कस्टम बैरियर को पूर्व की भांति रात 8:00 बजे तक खुला रखना, नेपाल निर्मित उत्पादों के भारत में निर्यात एवं सीटीडी के तहत देश के सामान आयात हेतु आदेश।सन 1960 के दशक में भारत-नेपाल समझौता के अनुसार नेपाली वाहन को बिना किसी परमिट के निःशुल्क लोकल थाना क्षेत्र, रेलवे स्टेशन, बाजार आने जाने की अनुमति सहित अन्य माँग की गई है। हालांकि गलगलिया-भद्रपुर सीमा से पूर्व की भांति वाहनों का आवागमन दो दिन पूर्व ही सामान्य कर दिया गया है और इंडो-नेपाल मैत्री संघ,उद्योग संघ झापा नेपाल, नेपाल-इंडो मैत्री संघ के सदस्यों ने गलगलिया कस्टम के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इससे भारत-नेपाल मैत्री संघ के संबंध को बल मिलेगा।मगर एसएसबी के कार्य प्रणाली से अब भी सीमावासी नाखुश देखे जा रहे हैं।