बीरबल महतो, सारस न्यूज़, किशनगंज।
एक ही घाट में मनाते है दो देशों के लोग मनाते हैं छठ।। बीरबल महतो, ठाकुरगंज (किशनगंज)। भारत व नेपाल के छठव्रती बड़ी संख्या में एक ही नदी घाट पर लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा मनाने के लिए जुटते हैं। हर वर्ष छठ के मौके पर बिहार के किशनगंज जिले के ठाकुरगंज में ऐसा नजारा दिखता है। हर साल छठ पूजा के मौके पर यहां संस्कृति की अद्भुत एकजुटता देखने को मिलती है। बिहार-नेपाल के लोग छठ महापर्व इकट्ठे मनाते हैं। यह नजारा ठाकुरगंज प्रखंड की सीमा पर अवस्थित खासकर भद्रपुर (नेपाल) – गलगलिया (भारत) बॉर्डर पर इसका विहंगम दृश्य देखने को मिलता है। देश के दो राज्यों बिहार व बंगाल तथा नेपाल के छठव्रती लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा मिलजुलकर धूमधाम से मनाते हैं। नदी के पूर्वी तट पर पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के खोरीबाड़ी प्रखंड की सीमा पर प्रखंड के दर्जनों गांव जैसे डांगुजोत देवीगंज, सोनापिण्डी , डुब्बाजोत, आरीभिट्ठा , बैरागीजोत तथा बिहार के गलगलिया, भातगांव, बन्दरबाड़ी, बाजारबस्ती आदि एवं नेपाल देश के भद्रपुर , कांकड़भिट्टा, विरतामोड़, बनियानी, धुलाबाड़ी चंद्रगुडी, आदि इलाकों के बड़ी संख्या में दोनों देशों के छठव्रती सरहद की सीमा को तोड़ एकसाथ मिलकर सूर्य की उपासना करते हैं। हालांकि पिछले साल कोरोना वायरस महामारी के कारण यह दृश्य देखने को नहीं मिली। इस बार लोगों को कोरोना वैक्सीन लगने के बाद पूर्व की तरह ही दोनों देशों के लोग छठ पूजा करेंगे और लोगों को कोविड-19 (कोरोना महामारी ) के जारी नियमों को भी ध्यान रखना व मास्क पहनना अनिवार्य होगा।
कई दशकों से है यह परंपरा:-
दोनों देश के एक साथ छठ पर्व मनाने का अद्भुत दृश्य व नजारा देखने लायक होता है। दोनों देशों के छठव्रती कई दशकों से हजारों की संख्या में इस नदी के दोनों किनारे अर्घ्य देते आ रहे हैं। मेची नदी के पूर्वी तट पर भारतवासी छठव्रती तो पश्चिमी तट पर पड़ोसी राष्ट्र नेपालवासी छठ पर्व मनाते है। दोनों देशों के नागरिक प्रत्येक वर्ष छठ पर्व मनाने की विधि-विधान तथा सूर्य देवता की उपासना एक साथ मिलकर करते हैं। सालों से दोनों देशों के लोग नदी किनारे डूबते और उगते सूर्य देव को अर्घ देने के लिए जमा होते हैं। उसमें मुख्य रूप से भारत के कई गांव कस्बों के श्रद्धालुओं के साथ नेपाल के कई गांव के छठव्रती मेची नदी घाट पर भगवान सूर्य की आराधना करने आते हैं।
नेपाल के मूल निवासियों की भी छठ पर्व के प्रति बढ़ रही आस्था:-
नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र में बिहार व यूपी के रहने वाले के साथ-साथ नेपाल के मूल निवासी की भी छठ पर्व के प्रति आस्था बढ़ती जा रही है। नेपाल के भद्रपुर, चंद्रगुडी, लघोडामारा, कांकड़ भिट्टा, विरतामोर, धुलाबाड़ी आदि शहरों में बड़ी संख्या में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं। इन्हें प्रत्येक वर्ष छठ पर्व मनाने की विधि-विधान तथा सूर्य देवता की उपासना को देख नेपाली मूल के लोगों में भी धीरे-धीरे आस्था बढऩे लगी और आज बड़ी संख्या में नेपाल के मूल निवासी भी छठ पर्व की आस्था से जुड़ रहे हैं। छठ पर्व की अलौकिकता से हर साल नेपाल में पर्व मनाने वालों की संख्या बढ़ रही है।
दोनों देश के जवान करती है श्रद्धालुओं की सुरक्षा:-
मेची नदी घाट पर छठ पर्व में काफी भीड़ उमड़ पड़ती है। भारी भीड़ की सुरक्षा के लिए सीमा पर तैनात भारत के एसएसबी के जवान व बिहार पुलिस प्रशासन एवं नेपाल के सशस्त्र प्रहरी व नेपाली पुलिस चप्पे-चप्पे पर गश्त लगाते देखे जाते हैं। इस दरम्यान एसएसबी द्वारा स्वान दस्ता का भी सहारा लिया जाता है ताकि भारत-नेपाल के असामाजिक व विरोधी तत्वों तथा तस्करों द्वारा की जानेवाली गलत गतिविधियों पर कड़ी नजर रखते हुए उसे नाकाम किया जा सके।
सारी रात मेची नदी घाट जुटे रहते हैं भारत- नेपालवासी:-
हजारों की संख्या में नेपाल निवासी छठ पर्व को देखने व मन्नत मांगने मेची नदी के घाट पर आते हैं। इस वक्त दोनों देश भारत व नेपाल वासियों में काफी उत्साह व उमंग के साथ छठ पर्व को मनाते है।भद्रपुर (नेपाल) के छठ पूजा कमिटि व भद्रपुर नगरपालिका के प्रयासों से सारी रात मेची नदी के घाट पर भजन संध्या सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है। साथ ही लाइटिंग, मुफ़्त चिकित्सा शिविर, चाय, गर्म पानी व सर्बत के स्टॉल तथा माईकिंग की समुचित व्यवस्था की जाती है। दोनों ही देश के सीमावासी नदी के दोनों पार जाकर पूजा घूम सके, इसके लिए नगरपालिका भद्रपुर, प्रखंड प्रशासन तथा सीमा पर तैनात एसएसबी के द्वारा हरसंभव प्रयास की जाती है।