सारस न्यूज टीम, सारस न्यूज।
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर आयोजित इफ्तार पार्टी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हुए। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उनकी अगवानी की। लालू परिवार के किसी कार्यक्रम में नीतीश कुमार चार साल बाद शामिल हुए हैं। इससे पहले वह तेजप्रताप यादव की शादी समारोह में गए थे। राबड़ी आवास 10, सर्कुलर रोड में शुक्रवार को आयोजित इफ्तार पार्टी में भाजपा, कांग्रेस और वामदलों के नेताओं ने भी शिरकत की। इफ्तार पार्टी में शामिल होने वाले प्रमुख नेताओं में सभापति अवधेश नारायण सिंह, उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन, लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान, वरिष्ठ राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी, शिवानंद तिवारी, जगदानंद सिंह और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा थे।
बताते चलें कि शुक्रवार को ही लालू प्रसाद को जमानत मिलने से इफ्तार पार्टी की खुशी और बढ़ गई। तेजस्वी यादव ने कहा कि दुआ काम आई। इफ्तार खत्म होते ही नमाज शुरू हुआ तो नीतीश कुमार के साथ तेजस्वी यादव ने रोजेदारों के बीच जाकर नमाज की रस्म भी अता की। विधायक तेजप्रताप यादव और सांसद मीसा भारती भी राबड़ी देवी के साथ आगंतुक नेताओं के स्वागत में लगे रहे। इससे पूर्व अजान के ठीक पहले मुख्यमंत्री के आने की सूचना हुई तो, तेजस्वी यादव 10, सर्कुलर रोड के गेट तक पहुंचे। मुख्यमंत्री को साथ लेकर वह मुख्य आवास और कार्यालय भवन के बीच बने पंडाल तक आए।
मुख्यमंत्री के पहुंचते ही कार्यकर्ताओं ने नीतीश-तेजस्वी का नारा लगाना शुरू कर दिया। इफ्तार शुरू होते ही भोला यादव और शक्ति सिंह यादव ने व्यवस्था की कमान संभाल ली। उधर, विधायक रणविजय साहू, चितरंजन गगन, एजाज अहमद, विनोद यादव, साधु पासवान आदि नेता सभी रोजेदार सहित अतिथियों पर नजर रख रहे थे। दो साल बाद राबड़ी देवी के आवास पर दावत-ए- इफ्तार का आयोजन हुआ।
बता दें कि वर्ष 2015 में लालू-नीतीश ने मिलकर राज्य में चुनाव लड़ा था और नीतीश के नेतृत्व में सरकार बनी थी। तब तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि बाद में अनबन होने के बाद नीतीश कुमार भाजपा के साथ चले गए। उसके पहले नीतीश कुमार का लालू यादव के साथ दही-चुड़ा खाने की तस्वीर सामने आई थी। लालू से अलग होकर भाजपा से मिलने के बाद नीतीश कुमार का राबड़ी आवास में जाना नहीं हुआ था। कई वर्षों के बाद नीतीश कुमार अब इफ्तार के बहाने राबड़ी आवास पहुंचे हैं। ऐसे में सियासी इफ्तार बिहार की राजनीति में कई नए संकेत दे सकते हैं।