सारस न्यूज टीम, सारस न्यूज, किशनगंज।
किशनगंज की चाय को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए जिले में उत्पादित व निर्मित चाय की कृषि विभाग, बिहार सरकार ब्रांडिग करेगा। कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह 30 अप्रैल को इसकी शुरुआत किशनगंज के डा. कलाम कृषि कालेज में बिहार की चाय एक परिचर्चा से करेंगे। इस मौके पर बिहार की चाय का विशिष्ट प्रतीक चिह्न भी जारी किया जाएगा। सरकार का उद्देश्य बिहार में उत्पादित एवं प्रसंस्कृत चाय को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने की है। इसके कारण बिहार की चाय एक परिचर्चा काफी महत्वपूर्ण हो गई है। सरकार के इस पहल से यह उम्मीद जताई जा सकती हैं कि देश के मानचित्र में चाय उत्पादक राज्य की श्रेणी में बिहार को स्थान देने वाले एकमात्र किशनगंज जिले के दिन बहुरने वाले हैं। देर आए दुरुस्त आए, बिहार में उगाई जाने वाली चाय को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए बिहार सरकार के कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय का यह कदम स्वागत योग्य है। किशनगंज जिले में बड़े पैमाने पर चाय का उत्पादन होता है। लेकिन इसके बावजूद भारतीय चाय बोर्ड में बिहार को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। जबकि बोर्ड की स्थापना चाय के उत्पादन, प्रसंस्करण और घरेलू व्यापार के साथ-साथ निर्यात को बढ़ावा देने के लिए की गई है। देश में चाय के उत्पादन, प्रसंस्करण और घरेलू व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए भारतीय चाय बोर्ड (टीबीआइ) में बिहार को छोड़कर अन्य सभी चाय उत्पादक राज्यों के प्रतिनिधि इसमें शामिल है, जबकि चाय उत्पादन के मामले में बिहार पूरे देश में पांचवें स्थान पर रहने के बावजूद बिहार का प्रतिनिधित्व बोर्ड में नहीं हैं। इसके लिए मंत्रालय ने भारतीय चाय बोर्ड में बिहार का प्रतिनिधित्व बोर्ड में शामिल करने की मांग की है। विभाग के इस कदम से जिले में चाय की खेती को एक नया आयाम मिलेगा। ऐसी आशा जताई जा रही हैं कि 30 अप्रैल किशनगंज जिला के चाय उत्पादक किसानों के साथ साथ इस व्यवसाय से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों के लिए स्वर्णिम दिवस साबित होगा।
बताते चलें कि पिछले दिनों राज्य सरकार ने विशेष फसल उद्यानिकी विकास योजना के तहत इस वर्ष चाय की खेती को शामिल किया है एवं चाय के नए पौधे लगाने वाले किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर किशनगंज में मात्र 75 हेक्टेयर का लक्ष्य दिया गया है। हालांकि जिले के बढ़ते चाय की खेती के क्षेत्रफल की नजर से यह नाकाफी है। चाय की खेती को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए इस छोटे कदम को भी कमतर आंका नहीं जा सकता है। वहीं दूसरी ओर टी बोर्ड आफ इंडिया की इकाई भी जिले के ठाकुरगंज, पोठिया एवं किशनगंज प्रखंड में गत आठ-दस वर्षों से कार्यालय ही चला रही हैं, पर बोर्ड के किसी भी योजना से राज्य के किसानों को लाभ नहीं मिल पाया हैं।
किशनगंज में 90 के दशक से एक छोटे से रकवे से शुरू हुई चाय की खेती का रकबा बढ़कर आज 14-15 हजार एकड़ तक पहुंच गया है। अभी जिले में नौ निजी और एक सरकारी टी-प्रोसेसिग प्लांट चल रहे हैं। डेढ़ हजार टन से ज्यादा चायपत्ती तैयार होकर बाजार में जा रही है। किशनगंज के ठाकुरगंज प्रखंड में संचालित अभय टी फैक्ट्री में निर्मित चाय तो रूस देश में निर्यात किए जा रहे हैं। पर बुनियादी सुविधाएं (बिजली, सिचाई, उर्वरक खाद की उपलब्धता आदि) सहित सरकारी प्रोत्साहन के अभाव में हजारों चाय उत्पादक किसान पिछड़ रहे हैं। इन बुनियादी सुविधाओं पर भी सरकार को विशेष ध्यान देनी की आवयश्कता है।

