सारस न्यूज टीम, बिहार।
मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल के एमसीएच, मदर चाइल्ड युनिट के बाहर 20 वर्ष की नेहा पेट में दर्द से परेशान थी। ओपीडी में डॉक्टर ने उसे देखने के बाद अल्ट्रासाउंड लिखा था। जांच के लिए वह अपने पति के साथ एमसीएच पहुंची थी लेकिन वहां उसकी जांच नहीं हुई। उसे 11 जून की तारीख दी गयी। बताया गया कि अल्ट्रासाउंड करने वाला कोई नहीं है। पीएचसी छोड़ 20 किमी दूर कुढ़नी से आयी नेहा और उसका परिवार गिड़गिड़ता रहा कि इमरजेंसी है जांच कर दें। लेकिन, उनकी एक न सुनी गई। शनिवार, दोपहर के 12 बजे की इस आंखों देखी घटना ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
शिकायत पर भी नहीं हुआ समाधान
नेहा के पति अरविंद पासवान ने कहा कि पेट में चोट लगने के बाद दर्द हो रहा है। नेहा का परिवार अल्ट्रासाउंड नहीं होने की शिकायत लेकर सीएस कार्यालय व अस्पताल उपाधीक्षक के पास गये। लेकिन समाधान नहीं हुआ। नेहा ने बताया कि उसे काफी दर्द हो रहा है। वह एक्सरे कराने भी गई तो उसे वापस कर दिया गया। पत्नी का इलाज नहीं होने पर नेहा का पति अरविंद कई बार अस्पताल के कर्मचारियों पर झल्ला रहा था। सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड करने के लिए सिर्फ एक ही डॉक्टर हैं।
फर्श पर दिया बच्चे को जन्म, स्ट्रेचर तक नहीं मिला
सदर अस्पताल के ओपीडी के बाहर फर्श पर आमगोला से आयी रितिका ने शनिवार को बच्चे को जन्म दे दिया। ओपीडी के बाहर बच्चे के जन्म होने की सूचना तुरंत जनरल वार्ड में भेजी गई। आनन-फानन वहां से नर्स इंचार्ज सुमित्रा वहां पहुंचीं और बच्चे को देखा। इसके बाद एंबुलेंस से उसे एमसीएच भेजा गया। एमसीएच से उतरने के बाद प्रसूता को स्ट्रेचर नहीं व्हील चेयर पर ऑपरेशन थियेटर तक ले जाया गया। रितिका के पति ने बताया कि वह पत्नी को डॉक्टर से दिखाकर दवा लेने आये। लेकिन यहां आते ही पत्नी को दर्द होने लगा और प्रसव हो गया।
कहते हैं सिविल सर्जन
अस्पताल में आये मरीज के इलाज में क्या परेशानी हुई इसका पता किया जायेगा। सोमवार को इस बारे में पूछताछ होगी। जो भी दोषी पाये जायेंगे उनपर कार्रवाई होगी। -डॉ उमेश चंद्र शर्मा, सिविल सर्जन