विशेष संवाददाता, सारस न्यूज़
साइबर अपराधियों ने बिहार के लाखों बिजली उपभोक्ताओं का पर्सनल डेटा उड़ा लिया है। डेटा के सहारे बिहार में बड़ी साइबर ठगी की तैयारी है। अब तक हजारों लोगों की जेब खाली कर चुके साइबर अपराधियों ने बिजली विभाग में डेटा सुरक्षा में लापरवाही की पोल खोल दी है। विभाग ने डेटा सुरक्षा के साथ उपभोक्ताओं के साथ हो रही ठगी को लेकर आर्थिक अपराध इकाई से गुहार लगाई है। बिहार आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी नैय्यर हसनैन खान ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी सुशील कुमार को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है। जांच में साइबर अपराधियों और विभाग के बीच डेट लीक करने वाली कड़ी भी बेनकाब होगी।
साइबर अपराधी बिजली उपभोक्ताओं का डेटा हासिल कर अब उन्हें बिल जमा करने के लिए मैसेज भेज रहे हैं। बिजली का बिल जमा नहीं होने के कारण रात में लाइन काट दिए जाने का मैसेज भेजकर वह पहले उपभोक्ताओं को डरा रहे हैं, फिर लिंक भेजकर ठगी कर रहे हैं। विभाग का कहना है कि बिजली उपभोक्ताओं को साइबर अपराधियों के फोन कॉल और मैसेज लगातार आ रहे हैं। बढ़ती घटनाओं को देखते हुए बीएसपीएचसीएल और बिहार आर्थिक अपराध इकाई ने बैठक की है।
बीएसपीएचसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक संजीव हंस ने साइबर अपराधियों के बिछाए ठगी के जाल के खुलासे को लेकर बिहार आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी नैय्यर हसनैन खान से मदद मांगी थी। इसके बाद एसपी सुशील कुमार को पीड़ित बिजली उपभोक्ताओं के मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है। बिहार आर्थिक अपराध इकाई के एसपी सुशील कुमार ने बीएसपीएचसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंधनिदेशक संजीव हंस से मुलाकात की। इस दौरान साइबर अपराधियों के शिकार होने से बचाव और बिजली उपभोक्ताओं के डेटा को सुरक्षित रखने पर मंथन किया गया है।
बीएसपीएचसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक संजीव हंस ने कहा कि साइबर अपराध जैसे मामलों से निपटने के लिए बिजली उपभोक्ताओं को जागरूक होना पड़ेगा। विज्ञापन के माध्यम से कंपनी बिजली उपभोक्ताओं को जागरूक करने का काम कर रही है। अब बिहार आर्थिक इकाई के सहयोग से कंपनी साइबर अपराधियों पर नकेल कसने की तैयारी में है। विभाग बिजली उपभोक्ताओं के डेटा को पूरी तरह सुरक्षित रखने पर भी काम कर रहा है। अब साइबर अपराधियों को बिजली उपभोक्ताओं को बरगलाना आसान नहीं होगा। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि थाने में जाकर वे पीड़ित उपभोक्ताओं को एफआईआर दर्ज करने में मदद करें।
वही सुरक्षा को लेकर पुलिस अफसरों के साथ सुरक्षा व उपभोक्ताओं के बचाव को लेकर नया सिस्टम तैयार करने पर मंथन कर रहे हैं। बिहार में बिजली उपभोक्ताओं का डेटा विभाग से साइबर अपराधियों तक कैसे पहुंच रहा है, यह बड़ा सवाल है। सवाल यह है कि बिना बीच की कड़ी के काम किए साइबर अपराधियों को कैसे पता चल रहा है कि उपभोक्ता के किस मोबाइल नंबर पर मैसेज भेजना है, यानी कि उन्हें कैसे पता चल रहा कि कौन सा नंबर रजिस्टर्ड है। अगर उपभोक्ता साइबर क्राइम का शिकार होता है तो तत्काल केस दर्ज कराए।
उपभोक्ताओं को किसी संदिग्ध ऐप या लिंक के जरिए भुगतान करने से बचना चाहिए। हमेशा बिजली बिल भुगतान के लिए कंपनी के प्रमाणित बिहार बिजली स्मार्ट मीटर ऐप से करे।
सुविधा ऐप एवं वेबसाइट का उपयोग भी पूरी तरह से सुरक्षित है। साइबर अपराध से निपटने के लिए सावधान रहने की अपील की गई हैं। कंपनी आर्थिक अपराध इकाई के सहयोग से साइबर अपराधियों पर नकेल कसने में मदद मांग रही है। उपभोक्ता सुरक्षा को लेकर अलर्ट रहें।