सारस न्यूज़ टीम, सारस न्यूज़।
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के द्वारा चाणक्य विधि विश्वविद्यालय के सहयोग से कराए गए सामाजिक सर्वेक्षण में शराबबंदी को फिर से जनता का भरपूर समर्थन मिला है। खासकर महिलाओं ने शराबबंदी के बाद आमदनी बढऩे, लड़ाई-झगड़े में कमी आने, बाहर अधिक सुरक्षित महसूस करने आदि बात कही है। शराबबंदी का प्रभाव जानने के लिए कराए गए सामाजिक अध्ययन की प्राथमिक रिपोर्ट आ गई है। विस्तृत रिपोर्ट पर भी काम चल रहा है, जो जल्द ही तैयार होगी।
इस बावत उत्पाद आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने बताया कि सामाजिक सर्वेक्षण के लिए राज्य के आठ जिलों से सैंपल लिए गए। इसमें पूर्वी चंपारण, जमुई, मधुबनी, किशनगंज, गया, कटिहार, बक्सर और पटना शामिल रहे। इस साल फरवरी-मार्च में इन जिलों में चार हजार घरों में जाकर सर्वेक्षण टीम ने बातचीत की। इसके लिए हर जिले के पांच-पांच प्रखंड चिन्हित किए गए। हर प्रखंड से दस ग्राम पंचायत और हर ग्राम पंचायत से 50 परिवार का चयन किया गया। इन परिवारों से निर्धारित प्रश्नावली के आधार पर प्रश्न पूछे गए और उनका इंटरव्यू रिकार्ड किया गया।
महिलाओं ने माना बेहतर हुआ घर व परिवार का माहौल।
उत्पाद आयुक्त ने बताया कि प्रारंभिक रिपोर्ट में महिलाओं ने माना है कि शराबबंदी के बाद घर का माहौल बेहतर हुआ है। पहले शराब पीने के लिए पुरुष सदस्य महिलाओं से पैसे और गहने छीन कर ले जाते थे, जो अब नहीं होता। इसका ब’चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी अ’छा प्रभाव पड़ रहा है। सर्वे के दौरान कुछ लोग ऐसे भी मिले जिन्होंने कहा कि शराब मिलनी चाहिए मगर यह भी माना कि शराबबंदी के कारण घर-परिवार में सकारात्मक बदलाव आए हैं।
अक्टूबर 2016 में भी कराया था सर्वे
राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में शराबबंदी कानून लागू किए जाने के छह माह बाद भी अक्टूबर 2022 को आद्री संस्थान के सहयोग से सर्वे कराया था। इसमें भी शराबबंदी के बाद सामाजिक, आर्थिक के अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की बात सामने आई थी। खासकर महिलाओं के जीवन में इसका बड़ा सकारात्मक असर देखने को मिला था।