सारस न्यूज टीम पटना, बिहार।
सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश के 16 जिलों को बीते वर्ष नवंबर में जिला सर्वे रिपोर्ट (डीएसआर) तैयार करने को कहा था। रिपोर्ट में पर्यावरणीय स्थिति, नदियों में बालू की उपलब्धता जैसे कई बिंदुओं को शामिल किया जाना था। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही नई खनन नीति को मंजूरी दिया जाना था। जानकारी है कि कोर्ट के आदेश के बाद जिलों ने जिला सर्वे रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसे जल्द ही कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
खान एवं भू-तत्व विभाग की जानकारी के अनुसार जिला सर्वे रिपोर्ट में कई विभागों की अहम जिम्मेदारी निर्धारित है। सिंचाई विभाग, प्रदूषण नियंत्रण परिषद, भू-गर्भ विज्ञान, खनन पदाधिकारी या अनुमंडलीय कमेटी की अनुशंसा और सुझाव शामिल किए जाने होते हैं। इसके बाद यह सर्वे रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट से होते हुए राज्य विशेषज्ञ संस्तुति कमेटी और इसके बाद राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकार तक जाती है। राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकार की अनुमति के बाद ही खनन विभाग संबंधित जिलों की नदियों से खनन की अनुमति देने में सक्षम हो पाता है।
बालू खनन पर जिलों ने तैयार की सर्वे रिपोर्ट कोर्ट के आदेश के बाद नई नीति से होगा खनन अभी 16 जिलों में नदियों से खनन की है अनुमति
सूत्रों ने बताया कोर्ट के आदेश के बाद जिलों ने यह सर्वे रिपोर्ट तैयार कर ली है और इस पर राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकार की सहमति भी मिल चुकी है। रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में अगली सुनवाई में पेश किए जाने की संभावना है। यदि कोर्ट की अनुमति मिली तो प्रदेश के 16 जिलों में नए सिरे से नवंबर से नई बालू नीति के तहत घाटों की नीलामी और इसके बाद खनन हो पाएगा। बता दें कि अभी नवादा, किशनगंज, वैशाली, बांका, मधेपुरा, बेतिया, बक्सर, अरवल के अलावा गया, पटना, भोजपुर, सारण, औरंगाबाद, रोहतास, जमुई और लखीसराय में बालू खनन की अनुमति है।
