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सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के कारण नगर निकाय चुनाव में फंस सकता है आरक्षण का पेंच, सुशील मोदी ने सरकार का ध्यान कराया आकृष्ट।

सारस न्यूज टीम, सारस न्यूज।

राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्णय के कारण बिहार और कर्नाटक में नगर निकाय के चुनाव को लंबे समय तक टालने की नौबत आ गई है। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि वर्षों से अधिसंख्य राज्यों में पिछड़े वर्गों की सूची है, जिसके आधार पर सेवा, शिक्षा एवं स्थानीय निकायों में आरक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि सेवा और शिक्षा में आरक्षण राजनीतिक आरक्षण से अलग है, अत: दोनों की सूची अलग-अलग होगी। राज्यसभा सदस्‍य सुशील मोदी ने नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के मसले पर बिहार सरकार को नसीहत दी है। उन्होंने कहा है कि 11 दिसंबर को कृष्णमूर्ति के मामले में संविधान पीठ के 2010 के फैसले का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को सख्त निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि शहरी निकायों में तब तक पिछड़े वर्गों का आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता जब तक कि राज्य सरकार द्वारा इस कार्य हेतु गठित राज्य आयोग ट्रिपल परीक्षण के आधार पर पिछड़े वर्गों के आरक्षण की अनुशंसा नहीं करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस आधार पर हाल में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं ओडिशा के चुनावों पर रोक लगा दी थी। दरअसल, तीनों राज्यों ने ट्रिपल परीक्षण के आधार पर पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं किया था। बिहार में 2022 के अप्रैल-मई में शहरी निकायों का चुनाव संभावित है। उसके पूर्व राज्य सरकार ने राज्य आयोग गठित कर ट्रिपल परीक्षण के आधार पर पिछड़ों की सूची तैयार नहीं की तो शहरी निकाय में 20 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाना संभव नहीं होगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने मोदी ने कहा कि बिहार सरकार को तत्काल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह करे।

निकाय में जातियों की सूची और प्रतिशत भी भिन्न-भिन्न हो सकता है।:-

सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार जहां पंचायत एवं स्थानीय निकायों में पहले से आरक्षण है, वहां भी एक अलग आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर नई सूची तैयार की जाए जो सेवा और शिक्षा में आरक्षण सूची से अलग हो। हर निकाय में जातियों की सूची और प्रतिशत भी भिन्न-भिन्न हो सकता है। इस आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सूची रद्द कर दी और चुनाव स्थगित करना पड़ा। वजह यह है कि राज्यों के पास कोई आंकड़ा नहीं है। नया आयोग बनाने का अर्थ है कि लंबे समय तक चुनाव टालने पड़ेंगे और ऐसी सूची बनाना भी अत्यंत कठिन है। भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जिस प्रकार अनुसूचित जाति/ जनजाति की एक ही सूची के आधार पर सेवा, शिक्षा और राजनीतिक आरक्षण दिया जाता है उसी प्रकार ऐसा प्रावधान किया जाए कि राज्य भी अपनी एक सूची के आधार पर सेवा, शिक्षा के साथ-साथ स्थानीय निकाय में भी आरक्षण दे सकें।

बता दें कि बिहार में बड़ी संख्या में उम्मीदवारों ने नगर निकाय चुनाव की तैयारी करनी शुरु कर दी है।

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