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कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए…..


सड़क पर बने गढ्ढे को कर दिया गया बराबर, लाइटिंग का कार्य जारी: मुन्ना सिंह

सारस न्यूज़, चंदन मंडल, सिलीगुड़ी: कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए.., केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके.. ,मारबो रे सुगवा धनुष से..सुगा गिरे मुरझाय ….आदि लोक प्रिय छठ गीतों से चहुंओर महापर्व छठ की धूम मची हुई है। बंगाल – बिहार सहित देश- विदेश में मनाए जाने वाले लोक आस्था का पवित्र त्योहार छठ पर्व मंगलवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। भारत – नेपाल सीमा के सीमावर्ती क्षेत्रों व भद्रपुर में लोक आस्था का महापर्व छठ पर्व को लेकर व्रतियों में काफी उत्साह है। लोग तैयारी में जुट गए हैं। बाजार से सामान की खरीदारी कर रहे हैं। मंगलवार को व्रती नहा-धोकर लौकी की सब्जी, अरवा चावल का भात, चने की दाल सहित आलू व बैंगन के पकोड़े बनाकर भगवान को भोग लगाया। इसके बाद सपरिवार प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद बुधवार को व्रती महिलाएं खरना व्रत के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत रखेंगी। गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को पहला अ‌र्घ्य दिया जाएगा और शुक्रवार को उदीयमान भगवान सूर्य को अ‌र्घ्य देने के बाद व्रत का पारण होगा। इसको लेकर सीमा वासियों ने मेची नदी की साफ-सफाई करने के साथ ही घरों पर भी तैयारी करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा घरों पर महिलाओं ने भी पूजा को लेकर अपनी तैयारी तेज कर दी है। भारत – नेपाल सीमा पर बहने वाली मेची नदी के घाट को देखकर हर धर्म के लोगों को भी काफी पंसद आता है। यहां दोनों देशों के छठव्रती बड़ी संख्या में लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा धूमधाम से मनाते हैं। दार्जिलिंग जिले के खोरीबाड़ी प्रखंड की सीमा पर प्रखंड के दर्जनों गांव डांगुजोत देवीगंज, सोनापिण्डी , डुब्बाजोत, आरीभिट्ठा , बैरागीजोत आदि व पड़ोसी राज्य बिहार के गलगलिया और नेपाल के भद्रपुर ,कांकड़भिट्टा, विरतामोड़, धुलाबाड़ी चंद्रगुडी, आदि इलाकों के बड़ी संख्या में दोनों देशों के छठव्रती सरहद की सीमा को तोड़ एकसाथ मिलकर सूर्य की उपासना करते हैं। दोनों देश के एक साथ पर्व मनाने का अद्भुत दृश्य व नजारा देखने लायक होता है। दोनों देशों के छठव्रती कई दशकों से हजारों की संख्या में इस नदी के दोनों किनारे अर्घ्य देते आ रहे हैं। मुख्य रूप से भारत के बंगाल , बिहार और नेपाल के झापा जिला के छठव्रती मेची नदी घाट पर नियम निष्ठा से लोक आस्था का महापर्व मनाते हैं। मेची नदी के पूर्वी तट पर भारतवासी छठव्रती तो पश्चिमी तट पर नेपालवासी छठ पर्व मनाते है। इन्हें प्रत्येक वर्ष छठ पर्व मनाने की विधि-विधान तथा सूर्य देवता की उपासना को देख नेपाली मूल के लोग सहित हर धर्म के लोगों में भी धीरे-धीरे आस्था बढऩे लगी और आज बड़ी संख्या में नेपाल के मूल निवासी सहित कई अन्य धर्म के भी लोग छठ पर्व कर रहे हैं। वहीं भातगांव पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि बृज मोहन सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने बताया कि लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को लेकर छठ व्रतियों को आने जाने में कोई दिक्कत नहीं हो इसके लिए सड़क पर बने गढ्ढे को बराबर कर भर दिया गया है।साथ ही हर साल की तरह इस वर्ष भी छठ व्रतियों व श्रद्धालुओं को के लिए गलगलिया से लेकर मेची नदी तक करीब तीन किलोमीटर तक लाखों की लागत से लाइट लगाने का कार्य चल रहा है। छठ घाट पर चाय व पानी के लिए स्टॉल भी लगाए जायेंगे।

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