सारस न्यूज़ टीम, सारस न्यूज़।
चाय की गुणवत्ता व अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए टी बोर्ड ऑफ इंडिया ने 19 दिसंबर से चाय की पत्तियों की तोड़ाई पर लगी रोक हटाने के लिए आदेश निर्गत की है। टी बोर्ड ऑफ इंडिया ने यह निर्णय लिया है कि अब बिहार, दुआर्स व तराई क्षेत्र में चाय उत्पादक किसान अपनी चाय पत्तियों को आगामी14 फरवरी से तोड़ सकते हैं। इसके साथ ही बिहार राज्य में संचालित ग्रीन लीफ प्रोसेसिंग करने वाले टी फैक्ट्रियों पर भी 21 दिसंबर से लगाई गई रोक हट जाएगी। टी बोर्ड ऑफ इंडिया के आदेश निर्गत होने के बाद प्रखंड ठाकुरगंज में संचालित 04 चाय फैक्ट्रियां अब 14 फरवरी से किसानों से चाय की पत्तियों की खरीद सकेंगे। वहीं दार्जिलिंग हिल्स व सिक्किम में 21 फरवरी, देश के अन्य चाय उत्पादित राज्य हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड में 07 मार्च से यह निर्देश लागू होगा। उक्त बातों की जानकारी देते हुए टी बोर्ड ऑफ इंडिया के बिहार प्रभाग के टी डेवलपमेंट ऑफिसर विकास कुमार ने देते हुए बताया कि टी बोर्ड ऑफ इंडिया की ओर से 04 फरवरी को यह निर्देश जारी किया गया है। उक्त आदेश टी बोर्ड ऑफ इंडिया ने टी (मार्केटिंग) कॉन्ट्रल ऑर्डर 2003 की धारा 13(3) के तहत निर्गत की हैं। इस निर्देश के बाद राज्य के चाय उत्पादक कृषक अपने चाय को फैक्ट्रियों में बेच सकेंगे। अनुमति मिलने के बाद चाय बागानों में तैयार हुई हरी पत्तियां तोड़ने का काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के अधीन काम करने वाले टी बोर्ड चाय की गुणवत्ता तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए जिम्मेवार हैं। इसलिए करीब दो माह चाय- बागानों में लगे पौधों की ताजगी बनाए रखने एवं मानकों में सुधार की दृष्टि से प्लकिंग (तुड़ाई) एवं मैन्युफैक्चरिंग (उत्पादन) कार्य को बंद रखा जाता है ताकि इस अवधि में चाय उत्पादक किसान विभिन्न विधियों से अपने चाय बागान को रखरखाव कर दुरुस्त कर सके और अच्छी गुणवत्ता वाली चाय पत्ती का उत्पादन कर सके। इससे चाय की क्वालिटी अच्छी होने के साथ साथ किसानों को अपनी चाय की क़ीमत भी अच्छी मिलती हैं।