सारस न्यूज, वेब डेस्क।
आयुष मंत्रालय और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने आयुर्वेद खाद्य उत्पादों के लिए सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों के नियम तैयार किए हैं। आयुष मंत्रालय के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद बाजार में आयुर्वेदिक दवा के नाम से आयुर्वेदिक आहार उत्पादों की बाढ़ सी आ गई है। देशी और विदेशी हजारों कंपनियां आयुर्वेद उत्पाद के नाम पर बिना किसी लाइसेंस के सामान बाजार में बेच रही हैं। आयुर्वेदिक उत्पाद होने के कारण इसका कोई स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़ने की वजह से लोग इसके सेवन से गुरेज नहीं कर रहे हैं। स्पष्ट नियमावली नहीं होने के कारण इनमें खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। इसीलिए एफएसएसएआई ने आयुर्वेदिक आहार की नई श्रेणी बनाते हुए उसके उत्पादों को प्रमाणित करने के लिए नई नियमावली बनाई है।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, यह व्यापक पहल गुणवत्ता वाले आयुर्वेद खाद्य उत्पादों के निर्माण को सुनिश्चित करेगी और मेक-इन-इंडिया उत्पादों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार के विस्तार में मदद करेगी। मंत्रालय ने विश्वास जताया है कि ये नियम आयुष प्रणाली के संरक्षक के रूप में भारत की वैश्विक स्थिति को और मजबूत करेंगे। आयुर्वेद खाद्य उत्पादों का मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग अब सख्त खाद्य सुरक्षा और मानक (आयुर्वेद आहार) विनियम, 2022 नियमों का पालन करेगा और एफएसएसएआई से अनुमति के बाद ही बाजार में उपलब्ध होगा।
आयुष मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा है कि आयुर्वेद खाद्य श्रेणी के लिए एक विशेष लोगो बनाया गया है, जो आयुर्वेद खाद्य उत्पादों की आसान पहचान और गुणवत्ता को सुदृढ़ करेगा।
आयुष मंत्रालय इस कदम से यह सुनिश्चित करता है कि हम जो भोजन ग्रहण करते हैं वह सुरक्षित और स्वस्थ है, यह निर्माताओं और उपभोक्ताओं दोनों की जिम्मेदारी है। कोविड-19 के पुनरुत्थान के बाद से भोजन, पोषण, स्वास्थ्य और इम्युनिटी पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
आयुर्वेद खाद्य की लेबलिंग में इसके सभी उपेक्षित उद्देश्य, लक्षित उपभोक्ता समूह और इसका कब तक उपयोग कर सकते हैं यह निर्देश दिया जाएगा। आयुर्वेद खाद्य की विभिन्न श्रेणियों के लिए अनुमति प्रक्रिया और उनके स्वास्थ्य दावों को नियमों के अनुसार होना चाहिए। हालांकि, आयुर्वेद खाद्य में आयुर्वेदिक दवाएं, औषधीय उत्पाद, सौंदर्य प्रसाधन, मादक या मनोदैहिक पदार्थ और जड़ी-बूटियां शामिल नहीं होंगी। इसके अतिरिक्त, दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए आयुर्वेद आहार की सिफारिश नहीं की जाती है।