सारस न्यूज़ टीम, सारस न्यूज़।
केन्द्रीय नागर विमानन मंत्रीश्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया, नागर विमानन राज्य मंत्री जनरल डॉ. वी. के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज नागर विमानन सचिव (एमओसीए) श्री राजीव बंसल के साथ पूर्वोत्तर भारत में हवाई सम्पर्क का विस्तार करते हुए आज 6 मार्गों पर विमानों को वर्चुअली रवाना किया। परिचालन शुरू करने वाले मार्ग हैं कोलकाता-गुवाहाटी, गुवाहाटी-आइजोल, आइजोल-शिलांग, शिलांग-आइजोल, आइजोल-गुवाहाटी और गुवाहाटी-कोलकाता।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, उच्च और तकनीकी शिक्षा, वाणिज्य और उद्योग डॉ. आर. ललथंगलियाना,खेल और युवा सेवा, पर्यटन और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी राज्य मंत्रीरॉबर्ट रोमाविया रॉयटेराज्य सरकार के अन्य महत्वपूर्ण सदस्यों के साथआइजोल, मिजोरम के लेंगपुई हवाई अड्डे से वर्चुअली इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
नागर विमानन मंत्रालय में आयोजित समारोह में मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्रीमती उषा पाधी के साथ एमओसीए के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा, “मिजोरम पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार है। पर्यटन और आर्थिक क्षेत्र के लिए इस शहर का अत्यधिक महत्व है। हम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की इस परिकल्पना को पंख देने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि देश का प्रत्येक नागरिक हर राज्य की विशिष्टता को अनुभव करे। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि राज्य मंत्री जनरल डॉ. वी. के. सिंह (सेवानिवृत्त) और मैं बहुत जल्द व्यक्तिगत रूप से मिजोरम का दौरा करेंगे।”
मंत्री महोदय ने आगे कहा, “मुझे इस तथ्य का उल्लेख करते हुए खुशी हो रही है कि एलायंस एयर के अधिकतर एटीआर विमान पूर्वोत्तर मार्गों पर तैनात हैं। आज, हम 4 शहरों को एक उड़ान से जोड़कर पूरे पूर्वोत्तर भारत में निर्बाध कनेक्टीविटी स्थापित कर रहे हैं। यह इस बात को रेखांकित करता है कि हमारे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में नागर विमानन मंत्रालय पूर्वोत्तर को उचित महत्व दे रहा है। उड़ान योजना के तहत, हमने उन शहरों को जोड़ा है जिनका देश के विमानन मानचित्र पर कोई उल्लेख नहीं था। हम 60 हवाई अड्डे और 387 मार्ग शुरू कर चुके हैं, जिनमें से 100 मार्ग अकेले पूर्वोत्तर में हैंऔर 50 मार्ग पहले से ही चालू हैं। इसके अलावा, 2014 में, पूर्वोत्तर में केवल 6 हवाईअड्डे चालू थे, लेकिन हमने 7 वर्ष की छोटी अवधि में 15 हवाई अड्डे खड़े कर दिए हैं। अत: इससे साबित होता है यह सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों को उचित महत्व दे रही है। इसके अलावा, कृषि उड़ान योजना के तहत, हमने इस क्षेत्र के निर्यात अवसरों को बढ़ाने के लिए 16 हवाई अड्डों की पहचान की है, जिससे माल ढुलाई और निर्यात में वृद्धि का दोहरा लाभ मिले।”
आज शुरू की गई उड़ानों ने कई ऐसे राज्यों को जोड़कर पूर्वोत्तर में हवाई सम्पर्क का विस्तार किया है जो अब तक उड़ानों से नहीं जुड़े हैं। क्षेत्र के मूल निवासियों कीइन मार्गों पर उड़ान कनेक्टीविटी की मांग काफी लंबे समय से लंबित रही है। पूर्वी भारत अपनी अद्भुत हरी भरी घाटियों, पहाड़ी नदियों, हरे भरे जंगलों, विशाल चाय बागानों, बर्फ से ढकी पर्वत चोटियों, आकर्षक नदियों, आदिवासी संस्कृति, रंग-बिरंगेमेलों और त्यौहारों के कारण पर्यटकों को लुभाता रहा है। ये उड़ानें प्रकृति प्रेमियों, यात्रियों, पर्यटकों आदि के लिए एक निर्बाध प्रवेश द्वार और सुगम हवाई पहुंच का विकल्प खोल देंगी। शिलांग चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह शहर कई प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों के लिए प्रसिद्ध है, यह पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए शिक्षा का केन्द्र है। सुन्दरता और शिक्षा का केन्द्र होने के अलावा, शिलांग मेघालय के प्रवेश द्वार के रूप में भी कार्य करता है, जो भारी वर्षा, गुफाओं, सबसे ऊंचे झरनों, सुंदर परिदृश्य और अपनी समृद्ध विरासत और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। आइजोल को पहाड़ के निवासियों (हाइलैंडर्स) के घर के रूप में जाना जाता है।यह एक समृद्ध और शानदार आदिवासी संस्कृति का आधार है और अपने हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर अनोखी प्राकृतिक सुंदरता से संपन्न है।
इन नई उड़ानों के साथ, गुवाहाटी, आइजोल और शिलांग के यात्रियों को देश के बाकी हिस्सों से जुड़ने के कई विकल्प मिल जाएंगे।
क्षेत्रीय सम्पर्क को सहारा देने के लिए निरंतर किए जा रहे प्रयास में, देश के सर्वश्रेष्ठ विरासत शहरों में से एक को देश की राजधानी से जोड़ने के लिए तिरुपति-दिल्ली मार्ग पर पहली सीधी उड़ान भी कल शुरू की गई थी।