सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
ब्यूटी प्रोडक्ट्स में खतरनाक कैमिकल्स: 40% उत्पादों में यूरोपीय सीमा से अधिक Siloxanes पाए गए।
भारत में बाजार से खरीदे गए ब्यूटी और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स के नमूनों में से चार में से एक में हानिकारक सिलॉक्सेन्स (Siloxanes) की मात्रा यूरोपीय संघ की निर्धारित सीमा (0.1%) से कहीं अधिक पाई गई है। यह खुलासा नागपुर स्थित नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) के वैज्ञानिकों ने किया है।
- कुल 174 प्रोडक्ट्स के नमूने लिए गए, जिनमें से 40% में सीमा से अधिक सिलॉक्सेन्स मिले।
- कुछ उत्पादों में ये मात्रा 760 गुना तक अधिक पाई गई।
- D5 और D6, जो सिलॉक्सेन्स के सबसे सामान्य रूप हैं, सबसे अधिक मात्रा में पाए गए।
कहाँ पाए गए ये कैमिकल्स?
शैम्पू, हेयर स्प्रे, बॉडी लोशन, फाउंडेशन, लिपस्टिक, लिप बाम और बॉडी व फेस वॉश जैसे उत्पादों में ये सिलॉक्सेन्स पाए गए।
क्या है खतरा?
हालांकि अभी तक मानवों पर कोई स्पष्ट असर साबित नहीं हुआ है, लेकिन पशु परीक्षणों में पता चला है कि ये कैमिकल्स फेफड़ों, जिगर और प्रजनन तंत्र को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
यूरोपीय संघ ने पहले ही D4, D5 और D6 को “हाई कंसर्न” वाली श्रेणी में रखा है और उनके उपयोग की सीमा तय कर दी है।
भारत में नहीं है कोई स्पष्ट नियम
भारत में अब तक सिलॉक्सेन्स को लेकर कोई कड़ा कानून नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन कैमिकल्स पर सख्त नियंत्रण और उत्पादों की लेबलिंग में पारदर्शिता जरूरी है।
लेबल पर धोखा
NEERI के अध्ययन में पाया गया कि कई प्रोडक्ट्स में लेबल पर सिलॉक्सेन्स का ज़िक्र नहीं था, लेकिन प्रयोगशाला जांच में उनकी मौजूदगी सामने आई।
जैसे— केवल 50% डियोडरेंट्स ने सिलॉक्सेन्स को दर्शाया, जबकि सभी में ये कैमिकल मौजूद थे।
सुझाव और समाधान
Purdue यूनिवर्सिटी (अमेरिका) की एक रिसर्च में सुझाव दिया गया कि साधारण वेंटिलेशन, जैसे बाथरूम एग्जॉस्ट फैन चालू रखना, D5 के असर को 90% तक कम कर सकता है।