धीरज चौधरी, सारस न्यूज़, कटिहार।
बरारी प्रखंड के लक्ष्मीपुर पंचायत के रविदास टोला में संत सिरोमणि रविदास जी का 644 वां जयंती धूमधाम के साथ बुधवार को मनाया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत सुखमणि साहब का पाठ से प्रारंभ हुआ था। बता दे हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष माघ महीने की पूर्णिमा तिथि पर संत रविदास की जयंती मनाई जाती है। संत रविदास जी का जन्म माघ पूर्णिमा तिथि के दिन हुआ था। इस दिन संत रविदास के अनुयायी बड़ी संख्या में उनके जन्म स्थान पर एकत्रित होकर भजन कीर्तन करते हैं। रविदास जयंती और माघी पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। संत रविदास को रैदासजी के नाम से भी जाना जाता है। इनके माता-पिता एक चर्मकार थे। संत रविवास जी बहुत ही धार्मिक स्वभाव के व्यक्ति थे। इन्होंने आजीविका के लिए अपने पैतृक कार्य को अपनाते हुए हमेशा भगवान की भक्ति में ही लीन रहा करते थे। संत रविदास जी, जिन्होंने भगवान की भक्ति में समर्पित होने के साथ अपने सामाजिक और पारिवारिक कर्त्तव्यों का भी बखूबी निर्वहन किया। इन्होंने आपस में प्रेम करने की शिक्षा दी और इसी तरह से वे भक्ति के मार्ग पर चलकर संत रविदास कहलाए।
उनकी शिक्षाएं आज भी प्रेरणादायक हैं। आइए जानते हैं संत रविदास जयंती के अवसर उनके अनमोल विचार संत रविदास जी के द्वारा कहा गया यह कथन सबसे ज्यादा प्रचलित है। जिसका अर्थ है कि अगर मन पवित्र है और जो अपना कार्य करते हुए, ईश्वर की भक्ति में तल्लीन रहते हैं उनके लिए उससे बढ़कर कोई तीर्थ नहीं है। संत सिरोमणि रविदास सेवा समिति लक्ष्मीपुर के कमेटी के अध्यक्ष रमण कुमार सुमन, उपाध्यक्ष नरेश रविदास, सचिव संतोष रविदास, संतोष कुमार, जानकी रविदास, मिथुन कुमार इस मौके पर कामेश्वर सिंह, सनिन्द्रर सिंह, गुरदास सिंह, रामखेलावन पासवान सहित अन्य लोग मौजूद थे।