विजय गुप्ता, सारस न्यूज, किशनगंज।
टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत मटियारी पंचायत स्थित कनकई नदी, मालीटोला,और मटियारी हाट के पास से होकर बहने लगी है। जिससे इन गांवों पर कटाव का खतरा मंडराने लगा है। नदी में पानी आने के साथ हीं ग्रामीणों ने विरोध जताते हुए आक्रोश पूर्ण धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।मटियारी पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि सफदर अंसारी ने कटाव प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने के बाद बताया कि लोगों का घर बस कनकई नदी के कटाव से महज दो मीटर की दूरी पर है,जो कभी भी नदी में समा जाएगा। जिससे यहां के लोग बरसात के मौसम में रातजगा करने को मजबूर हैं। उन्हें इस बात का डर है कि कब नदी में पानी आ जाए और ग्रामीणों का आशियाना कनकई नदी के गर्भ में समा जाएगा यही चिंता लोगों को चौबीस घंटे सता रही है। इस संबंध में मुखिया प्रतिनिधि ने अन्य लोगों के साथ जिला जाकर जल निस्सरण विभाग और जिला पदाधिकारी को पूर्व में आवेदन देकर अवगत करा चुके हैं। फिर भी विभाग की लापरवाही के चलते आज तक कटाव रोधी कार्य यहां शुरू नहीं किया गया, जिससे ग्रामीणों में विभाग प्रति आक्रोश का माहौल है। वार्ड सदस्य अब्दुल कय्यूम, मोहम्मद आलम और डाकपोखर पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि मनोज यादव एवं पूर्व जिला परिषद सदस्य श्यामलाल राम के घर के आसपास सैकड़ों घर कनकई नदी के कटाव जद में है।
वहीं प्राथमिक उपस्वास्थ्य केंद्र , मटियारी पंचायत भवन सहित स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, मटियारी हाट, सड़क, पुल पुलिया आदि सरकारी गैरसरकारी भवनों पर भी कटाव का खतरा मंडरा रहा है। इसके लिए लोग विधायक, सांसद और विभाग के आलाधिकारी तक का दरवाजा खटखटाया है, पर आज तक प्रभावित परिवारों को केवल निराशा हीं साथ लगी है। ज्ञात हो कि किसानों की उपजाऊ भूमि हर वर्ष कनकई नदी के गर्भ में समा जाती है। जिससे यहां के लोगों की रोजी रोटी छीन जाती है,और लोग रोजी रोटी कपड़ा के लिए बड़ी संख्या में दुसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं।आज भी दर्जनों की संख्या में बाढ़ व कटाव के चलते विस्थापित परिवार सड़क किनारे शरण लिए हुए है। जिनकी आर्थिक स्थिति चिंताजनक है। यहां के लोगों की मांग है कि जिला प्रशासान के तरफ से जल्द कोई ठोस व कारगर उपाय बाढ़ व कटाव से पूर्व किया जाय। लोग जियोबैग बांध व प्रकोपाईल द्वारा ईमानदारी पूर्वक काम कराने की मांग कर रहे हैं , तभी इन गांवों को कटाव से बचाया जा सकता है। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर गांवों को बचाने का कार्य अविलंब शुरू किया जाय ताकि सैकड़ों जिंदगियां तबाह और बर्बाद होने से बच जाएगी।
