शशि कोशी रोक्का, सारस न्यूज़, किशनगंज।
किशनगंज जिले को कालाजार से मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर है। कालाजार उन्मूलन अभियान के तहत जिले की आशा कार्यकर्ता कालाजार मरीजों की खोज करेंगी। इसके लिए जिले के पोठिया प्रखंड में आशा कार्यकर्ता को प्रशिक्षण दिया गया। ताकि लक्षण व पहचान के आधार पर मरीजों को आसानी से पहचान सके। कालाजार प्रभावित गांव में कालाजार रोगी की पहचान की जानी है। इसके लिए जिले के सभी आशाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा।प्रशिक्षण के बाद आशा अपने क्षेत्र में दी गयी समयावधि में सभी घरों में कालाजार मरीजों को खोजेंगी एवं प्रतिदिन की रिपोर्ट अपने आशा फैसिलिटेटर को देंगी। वहीं केटीएस और केबीसी कालाजार लक्षण के रोगियों का सत्यापन कर उसके जांच को सुनिश्चित करवाएगी। आशा फैसिलिटेटर आशा के द्वारा किए जा रहे कार्यों पर नजर रखेंगी। प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक घर-घर कालाजार खोज कार्यक्रम की निगरानी एवं अपने प्रखंड के कालाजार तकनीकी पर्यवेक्षक एवं जिला सामुदायिक उत्प्रेरक को ब्यौरा उपलब्ध कराएंगे।
आशा कालाजार के लक्षण वाले मरीज को पी एच सी रेफर करेगी जहां डॉक्टर मरीज की डायग्नोस्टिक करेंगे। उसके बाद आर.के.39 किट से जांच की जाती है। इन सभी कार्यवाहियों में केयर इंडिया भी सहयोग करेगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में भी बीडीएस आशुतोष कात्यन, केयर इंडिया के प्रकाश सिन्हा, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबन्धक सुनील कुमार आदि उपस्थित थे।
कालाजार की ऐसे करें पहचान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया कि कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है। कालाजार के इलाज में लापरवाही से मरीज की जान भी जा सकती है। यह बीमारी लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण होता है। कालाजार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलने वाली बीमारी है। दरअसल, यदि किसी संक्रमित व्यक्ति को बालूमक्खी काट लेती है और वह फिर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटती है तो इस तरह से स्वस्थ्य व्यक्ति भी चपेट में आ जाता है। इस लिहाज से यह एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यदि व्यक्ति को दो सप्ताह से बुखार और तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो तो यह कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। साथ ही मरीज को भूख न लगने, कमजोरी और वजन में कमी की शिकायत होती है। यदि इलाज में देरी होती है तो हाथ, पैर व पेट की त्वचा काली हो जाती है। बाल व त्वचा की परत भी सूखकर झड़ते हैं। उन्होंने बताया कालाजार के संभावित लक्षण दिखने पर क्षेत्र की आशा से तुरंत संपर्क करना चाहिए और रोगी को किसी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाना चाहिए।
मरीजों को आर्थिक सहायता का मिलता है लाभ, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया, कालाजार से पीड़ित रोगी को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है। मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में बीमार व्यक्ति को राज्य सरकार द्वारा 6600 रुपए और केंद्र सरकार द्वारा 500 रुपए दिए जाते हैं। यह राशि कालाजार संक्रमित व्यक्ति को संक्रमण के समय में दी जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार संक्रमित रोगी को केंद्र सरकार की तरफ से 4000 रुपए दिए जाते हैं।
कालाजार से बचाव के लिए डीडीटी छिड़काव ही सबसे बेहतर उपाय। प्रखंड स्वास्थ्य प्रबन्धक सुनील कुमार ने बताया, कालाजार से बचाव के लिए डीडीटी छिड़काव ही सबसे बेहतर उपाय है। साथ ही इससे बचाव के लिए लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। इसके लिए लोगों को साफ-सफाई समेत रहन-सहन में बदलाव करने की आवश्यकता है। वहीं उन्होंने बताया, कालाजार मादा बालू मक्खी (सैन्ड फ्लाई) के काटने से फैलता है। डीडीटी के छिड़काव से ही बालू मक्खी के प्रभाव को पूर्णत:खत्म किया जा सकता है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा डीडीटी का छिड़काव कराया जा रहा है। जिससे बालू मक्खी को समाप्त किया जा सके।
लक्षण दिखते ही कराएं इलाज, सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है समुचित व्यवस्था प्रखंड समन्वयक प्रकाश सिन्हा ने बताया, लोगों को कालाजार का लक्षण दिखते ही तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पतालों में जाँच करानी चाहिए और चिकित्सकों की सलाह के अनुसार उचित व समुचित इलाज कराना चाहिए।सरकारी अस्पतालों में जाँच एवं इलाज की मुफ्त समुचित व्यवस्था उपलब्ध है।
*साथ ही इन बीमारियों से बचने के लिए
-जमीन (सतह) पर नहीं सोएं।
-मच्छरदानी का नियमित रूप से उपयोग करें।
-पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
*कालाजार के लक्षण
-लगातार रूक-रूक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना।
-वजन में लगातार कमी होना,दुर्बलता।
-मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना।
-व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है।
-प्लीहा में नुकसान होता है।
*छिड़काव के दौरान इन बातों का रखें ख्याल
-छिड़काव के पूर्व घर की अन्दरूनी दीवार की छेद/दरार बंद कर दें।
-घर के सभी कमरों, रसोई घर, पूजा घर, एवं गोहाल के अन्दरूनी दीवारों पर छः फीट तक छिड़काव अवश्य कराएं
-छिड़काव के दो घंटे बाद घर में प्रवेश करें।
-छिड़काव के पूर्व भोजन समाग्री, बर्तन, कपड़े आदि को घर से बाहर रख दें।
-ढाई से तीन माह तक दीवारों पर लिपाई-पोताई ना करें, जिसमें कीटनाशक (एस पी)का असर बना रहे।अपने क्षेत्र में कीटनाशक (एस पी)छिड़काव की तिथि की जानकारी आशा दीदी से प्राप्त करें।
