बीरबल महतो, सारस न्यूज़, किशनगंज।
सरकार की महती परियोजना में शुमार इंडो-नेपाल बार्डर पर सीमा सड़क निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है। जिले में करीब 75 किमी सड़क निर्माण हेतु भू-अर्जन कार्य पूर्ण होने के बावजूद निर्माण कार्य कछुआ की चाल से चल रहा है। इस सड़क का निर्माण हो जाने से दोनों देश के सीमावर्ती क्षेत्रों की दूरियां कम होने के साथ व्यापारिक रिश्ता भी मजबूत होगा।
इस परियोजना के निर्माण कार्य से पथ निर्माण विभाग बिहार सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में सहयोग कर रहा है। विभाग के अधिकारी कहते हैं कि निर्माण कार्य जल्द पूरा हो जाएगा। लेकिन चार साल से चल रहा निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है। इसे साल 2020 तक पूरा करना था। यह निर्माण कार्य जिले के गलगलिया से पिलटोला तक होना है। इसके लिए कुछ जगहों पर मिट्टी भराई का कार्य किया गया है। कहीं-कहीं पुल और पुलिया निर्माण का निर्माण हुआ है लेकिन काम की गति के मुताबिक अभी बहुत समय लगने वाला है। अभी सड़क की मिट्टी भराई का काम भी बाकी है, जिसके बाद पक्कीकरण किया जाएगा। सीमावर्ती क्षेत्रों के चतुर्दिक विकास में इस प्रोजेक्ट की काफी अहम भूमिका होगी। इससे न केवल भारत-नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों की दूरियां कम होंगी वरन् दोनों देशों के बीच व्यापारिक दूरियां भी कम हो जाएंगी। इसमें किशनगंज के गलगलिया से पिलटोला तक करीब 75 किलोमीटर सड़क भी शामिल है। नेपाल की सीमा से सटे किशनगंज के ठाकुरगंज, दिघलबैंक व टेढ़ागाछ प्रखंड के क्षेत्र इससे लाभान्वित होंगे। विदित हो कि बिहार में इस प्रोजेक्ट के तहत करीब 552 किमी सड़क का निर्माण होना है। इसके लिए करीब 4964 करोड़ का कुल बजटीय प्रावधान किया गया है। साथ ही किशनगंज में कुल सात पुलों का भी निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। इस सड़क का निर्माण भारत-नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होगा। नेपाल की सीमा से हो रही तस्करी व मादक पदार्थों की अवैध आवाजाही अभी तक एसएसबी के लिए चुनौती बना हुआ है। ऐसे में एसएसबी को इस सड़क से यातायात में सुविधा होने पर तस्करी पर लगाम लगाने में भी काफी मदद मिलेगी।