किशनगंज :- बाढ़ की कहर पूरे बिहार में है यह कोई नई बात नही की बाढ़ आया है यह तो हर साल बरसात के मौसम में आता ही है नदी कटाव में कई गांव विस्थापित हो जाता है तो कई परिवार के आसियाने नदी अपनी धार के साथ बहा ले जाती है लेकिन सवाल जहाँ का वही रह जाता है बाढ़ को लेकर कई तरह के योजनाएं परियोजना बनती है करोड़ों की योजनाओं से बाढ़ निरोधक कार्य भी किया जाता है लेकिन जब बाढ़ आता है तो यह सब कुछ नाकाफी साबित होता है और लोग आपने घरबार को छोड़ कर जाने को मजबूर हो जाते और लोगों की ऐसी स्थिति हो जाती है कि करे तो करे क्या? जाए तो जाए कहा मदद मांगे तो मांगे किससे कोई तो नही है चाहे जिला प्रशासन हो या नेता कोई भी तो इन लोगों का जिम्मेदारी लेने को तैयार नही। आखिर क्यों वह नेता इस लोगों की जिम्मेदारी लेने को तैयार नही जिन्हें उन्होंने लोकतांत्रिक अधिकार से वोट देकर चुना है या फिर जिनके पास जनता की टैक्स का पैसे है व क्यों जिम्मेदारी लेने को तैयार नही अब यह लोग भगवान भरोसे घरों से निकल चुके है और सोच लिए है कि जो होगा देखा जाएगा ऐसे ही यह मामला किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड अन्तर्गत चिल्हनिया पंचायत का है जहाँ रतुवा नदी उफान पर है लोगो के घरों में पानी आ गया है और लोग अपने घर जान को लेकर घरों से भगवान भरोसे निकल पड़े है वही स्थानीय ग्रामीण शाह आलम ने ऐसी स्थिति पर दुःख जाहिर किया और स्थानीय विधायक सांसद व जिला प्रशासन से इन लोगों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की।
