सारस न्यूज टीम, सारस न्यूज, किशनगंज।
किशनगंज सीमा सुरक्षा बल द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला कार्यक्रम बीएसएफ मुख्यालय किशनगंज में डीआईजी दिनेश चन्द्र मजून्दर की अध्यता में सम्पन्न हुई जिसमे चाइल्डलाइन के जिला समन्वयक सह विहान संस्था के क़ानूनी सलाहकार पंकज कुमार झा, तटवासी समाज न्यास के जिला समन्वयक बिपिन बिहारी, विहान संस्था के जिला परियोजना प्रमुख प्रकाश कुमार, परियोजना समन्वयक रणधीर कुमार, मुजाहिद आलम, ऐडीडीएसएसएस जलपाईगुड़ी संस्था के बाल संरक्षण पदाधिकारी आदि गैर सरकारी संगठन सहित सभी बीएसएफ के अधिकारी मौजूद रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पंकज कुमार झा ने बताया कि बाल तस्करी अर्थात बच्चों का अवैध व्यापार उन्हें विभिन्न उद्देश्यों के लिए खरीद फरोख्त करता हैं, भारत में मानवता को शर्मसार करने वाला यह कुकृत्य बड़े स्तर पर चल रहा हैं। जब कभी ऐसे रैकेट पकड़े जाते हैं तो इनसे मिली जानकारियां रूह कपा देने वाली होती हैं। बाल तस्करी के कुकृत्य के पीड़ित बच्चों के साथ शारीरिक श्रम के साथ ही उनके अंगों को निकालने बेचने, उनका यौन शोषण करने अथवा वेश्यावृत्ति तक में धकेल दिए जाते हैं। हर साल देश में करीब 50 हजार बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट थानों में दर्ज करवाई जाती हैं। इतनी बड़ी संख्या में बच्चें कैसे गायब हो जाते हैं, हमारे देश की कानून व आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था इन अपराधों के आगे बेबश नजर आती हैं। भारतीय कानून में बच्चों के अवैध व्यापार के आरोपी को सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा देने का प्रावधान हैं तो वही विहान संस्था के जिला परियोजना प्रमुख प्रकाश कुमार ने उक्त कार्यक्रम को संबंधित करते हुए कहा कि 18 वर्ष की आयु से कम के बच्चे जो नाबालिग होते है उन्हें अवैध तरीको से काम करना, यौन शोषण, बाल श्रम, घर, उद्योग आदि में काम करवाना चाइल्ड ट्रैफिकिंग के अंतर्गत आता हैं जो कि गैरकानूनी हैं।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की ओर से जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रतिवर्ष लगभग 20 लाख बच्चों की तस्करी होती हैं। जोर जबरदस्ती, अपहरण, माता पिता को लालच देकर आदि तरीकों से बच्चों को कठिन परिश्रम, मजदूरी, अंग निकालकर बेचना, भीख मंगवाना आदि कार्य करवाएं जाते हैं। बाल तस्करी के अधिकतर मामलों की शिकार लड़कियाँ होती हैं। मानव तस्कर इन्हें बड़ी कर आगे बेच देते है अथवा वेश्यावृत्ति के धंधे में ढकेल देते हैं। अवैध रूप से बाल तस्करी के चलते बच्चों को उनके परिवार एवं घरेलू वातावरण से दूर कर दिया जाता हैं। वे अपने माता पिता व परिवार के प्यार से वंचित हो जाते है, उनसे शिक्षा के अवसर छीन जाते हैं। इस तरह उनका सुनहरा बचपन शुरू होने से पूर्व ही समाप्त हो जाता हैं। बाल तस्कर बच्चों को इसलिए अपना शिकार बनाते है क्योंकि वे लालच एवं प्रलोभन में जल्दी आ जाते है अपने अधिकारों की न तो उन्हें समझ होती है न ही शोषण के प्रति आवाज उठा पाते हैं। उनकी मानसिक अपरिपक्वता का फायदा उठाकर वस्तुओं की तरह बच्चों को बेचने व खरीदने का यह कारोबार दिनों दिन चलता रहता हैं। आमतौर पर तस्करी के शिकार अशिक्षित, गरीब एवं आदिवासी परिवारों से सम्बन्धित होते हैं। विद्यालय तथा शिक्षा से उनका जुड़ाव परिस्थितिवश कम ही होता हैं। उन्हें मजदूरी या धन का लालच देकर बहला फुसला दिया जाता हैं। काम के बहाने उन्हें एक राज्य से दूसरे राज्य यहाँ तक कि दूसरे देशों में भेजकर उनका मनचाहे तरीके से शोषण किया जाता हैं, भारत में प्रतिदिन बच्चों के अपहरण की 200 घटनाएं होती है, जिनके पीछे किसी न किसी तरह ये बाल तस्कर ही जुड़े होते हैं।जिले में बाल तस्करी के रोकथाम पर कार्य कर रहे संस्थाओं की अहम भूमिका रही है। जिसके लिए बीएसएफ के डीआईजी दिनेश चन्द्र ने चाइल्डलाइन के जिला समन्वयक पंकज कुमार झा एवं विहान के जिला परियोजना प्रमुख प्रकाश कुमार को उत्कृष्ट कार्यो के लिए प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित किया गया। डीआईजी ने कहा कि जिले में बाल तस्करी मामले कि रोकथाम के लिए विहान संस्था, चाइल्डलाइन एवं टीएसएन संस्था हमेसा तटपर रहती है और पूर्व इस तरह के मामले इनलोगों द्वारा रोका गया है।
