बीरबल महतो, सारस न्यूज़, किशनगंज।
मंगलवार को प्रखंड के भोगडाबर पंचायत के वार्ड नं- 09 क्षेत्र अंतर्गत बाखोटोली एवं हजारी गांवों के किसानों को आधुनिक व तकनीकी तरीके से मकई की खेती करने के लिए एक दिवसीय कृषि प्रशिक्षण दिया गया। फ्री विल बेपटिस्ट ट्रस्ट सोसायटी सोनापुर के द्वारा इम्मयूनल हॉस्पिटल एसोसिएशन (ईएचए) के सहयोग से आयोजित उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में चिन्हित जरूरतमंद 32 किसानों को मक्के की बीज निःशुल्क वितरित की गई। इस मौके पर ईएचए के राहत समन्वयक सुभाष दास ने बताया कि जिन किसानों को प्रशिक्षण व बीज दी गई हैं उसे मक्के की फसल कटाई तक इन किसानों की फसल की सोसायटी और मक्का बीज कंपनी द्वारा संयुक्त रूप से निगरानी की जाएगी।
जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत सरकार के द्वारा भी किसानों की आमदनी दुगुनी करने के कई तरह के कार्यक्रम आयोजित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इस क्रम में विभाग के द्वारा किसानों को फसल अवशेष के प्रबंधन एवं फसल अवशेष के उपयोग को लेकर भी जानकारी दी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि विभिन्न फसलों की कटाई के बाद बचे हुए डंठल तथा पुआल, भूसा, तना व जमीन पर पड़ी हुई पत्तियों आदि को फसल अवशेष को जोताई कर मिट्टी में मिलाने से एवं कचरे से कंपोस्ट बनाए जाने से पर्यावरण अनुकूल सतत कृषि को बढ़ावा दिया जा सकता है। अलग से अवशेष प्रबंधन में मजदूरों, समय के साथ धन की भी आवश्यकता होती है और दो फसलों के बीच उपयुक्त समय के अभाव की वजह से फसल अवशेष का प्रबंधन आवश्यक हो जाता है।
फसल अवशेष प्रबंधन की बजाय जलाने से मिट्टी, वातावरण, मनुष्य और पशुओं के स्वास्थ्य के ऊपर घातक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष को खेतों में जलाने पर भूमि की उर्वरा शक्ति में ह्रास होता है। इससे 100 प्रतिशत नेत्रजन, 25 प्रतिशत फास्फोरस, 20 प्रतिशत पोटाश एवं 60 प्रतिशत सल्फर का नुकसान होता है। जमीन के ऊपरी सतह पर रहने वाले मित्र कीट व केंचुआ आदि को नुकसान होता है। इस मौके पर रिसोर्स पर्सन मक्का बीज कंपनी जिला प्रबंध निदेशक अंकित पटेल,वार्ड सदस्य मो. साजिद आलम,पंच सदस्य तैमूना खातून व मो. अंजुमा खातून, स्थानीय कृषक मो. सफीरुद्दीन, यास्मीन परवीन, मो. करुदजामा आदि मौजूद थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में लुकास सोरेन, ज्योति बनिक, तनवीर नौसाद, सरवत जहां, महिनूर बेगम ने महत्ती भूमिका निभाई।