सारस न्यूज, किशनगंज।
प्रदेश में नौका परिचालन के मौजूदा नियम के बदलते हुए राज्य सरकार ने इसमें स्थानीय निकायों की सहभागिता तय कर दी है। अब राज्य की नदियों और जल निकायों में नौका परिचालन स्थानीय निकायों के माध्यम से होगा। विधानसभा में मंगलवार को इसके लिए बिहार नौकाघाट बंदोबस्ती एवं प्रबंधन विधेयक 2023 पर मुहर लग गयी।
विधेयक पर मुहर लगते ही बंगाल फेरी अधिनियम, 1885 खत्म हो गयी। सोमवार को विधानसभा में इस विधेयक की प्रतियां बांटी गई थी। विधेयक के अधिसूचित होने के बाद विभाग इसकी नियमावली तैयार करेगा। नियमावली में सभी प्रावधान स्पष्ट हो जाएंगी। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने सदन में इस विधेयक पर सरकार का पक्ष रखा।
विधेयक के अनुसार नदियों व जल निकायों के अधीन लोगों, मवेशियों, सामग्रियों इत्यादि के आवागमन के फेरी अर्थात नौका परिचालन, प्रबंधन, बंदोबस्ती एवं नियंत्रण का अधिकार स्थानीय निकायों को दिया जाएगा। लोक नौकाघाटों से टोल की वसूली सरकार द्वारा निश्चित विहित प्रक्रिया के तहत होगी।
बंदोबस्ती के प्रावधान तय करेगी सरकार:-
नए प्रावधान के तहत नौका परिचालन का अधिकार ग्रामीण व शहरी निकायों को दिया जाएगा। नावों का परिचालन सुनिश्चित करने के साथ ही स्थानीय निकाय लोक नौका घाटों को सुव्यवस्थित व विनियमित भी कर सकेंगे।
