राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।
किशनगंज शहर के डुमरिया स्थित बब्बन कुमार एवं दयानंद कुमार के निजी आवास पर सात दिवसीय विशाल श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा के चौथे दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
कथा वाचक श्री दिवाकर मिश्रा ने कथा के दौरान राजा परीक्षित का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे श्रृंगी ऋषि के श्राप को पूर्ण करने के लिए तक्षक नामक सर्प भेष बदलकर राजा परीक्षित के पास पहुंचा और उन्हें डंस लिया। विष के प्रभाव से राजा परीक्षित का शरीर जलने लगता है और उनकी मृत्यु हो जाती है। परंतु श्रीमद् भागवत कथा श्रवण के पुण्य प्रभाव से राजा परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पिता की मृत्यु से आक्रोशित होकर राजा परीक्षित के पुत्र, जनमेजय, सर्पों के विनाश हेतु एक यज्ञ का आयोजन करवाते हैं, जिसमें सर्पों को आहुतियां दी जाने लगती हैं। इस यज्ञ की शक्ति से संसार के समस्त सर्प यज्ञ कुंड में खिंचकर आने लगते हैं और भस्म होने लगते हैं। तब देवताओं सहित सभी ऋषि-मुनि जनमेजय को समझाते हैं और उन्हें यज्ञ रोकने के लिए प्रेरित करते हैं।
आचार्य श्री दिवाकर मिश्रा ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण और प्रवचन जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करता है और विष्णुलोक की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
