राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा समाज के अंतिम व्यक्ति तक चिकित्सा सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से क्लबफूट जैसी जन्मजात विकृति से पीड़ित चार बच्चों को मंगलवार, 14 जनवरी 2025 को किशनगंज के सदर अस्पताल से रूटीन जांच और इलाज के लिए जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जेएलएनएमसीएच), भागलपुर भेजा गया। यह पहल राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत की गई है, जो जरूरतमंद बच्चों को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए समर्पित है।
किशनगंज से भेजे गए बच्चों का विवरण:
- आहिल रज़ा
- पिता: अकबर अलमा
- उम्र: 3 महीने
- ब्लॉक: दिघलबैंक
- हामिद
- पिता: मोहम्मद अशिक
- उम्र: 5 साल
- ब्लॉक: दिघलबैंक
- मोहम्मद शाहिन
- पिता: मोहम्मद अशिक
- उम्र: 2 साल
- ब्लॉक: दिघलबैंक
- सिफत परवीन
- पिता: साबिद अनवर
- उम्र: 5 साल
- ब्लॉक: कोचाधामन
इन बच्चों को क्लबफूट जैसी विकृति के निःशुल्क इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में भेजा गया है। जेएलएनएमसीएच, भागलपुर में इनकी रूटीन जांच और आवश्यक उपचार किया जाएगा, जिससे उनके पैर की विकृति को ठीक कर उनका शारीरिक विकास सामान्य बनाया जा सके।
स्वास्थ्य विभाग की पहल
किशनगंज के सिविल सर्जन, डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत क्लबफूट जैसी विकृतियों से पीड़ित बच्चों का निःशुल्क इलाज सुनिश्चित किया जा रहा है। हमारा उद्देश्य है कि हर जरूरतमंद बच्चा इस योजना का लाभ उठाए और समाज में स्वस्थ जीवन जी सके। इन चार बच्चों को जेएलएनएमसीएच भागलपुर भेजा गया है, जहां उनकी नियमित जांच और विशेषज्ञों की देखरेख में इलाज होगा। मैं अभिभावकों से अपील करता हूं कि यदि उनके बच्चे को किसी प्रकार की शारीरिक विकृति हो, तो वे तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें।”
आरबीएसके टीम का योगदान
आरबीएसके के डीआईसी प्रबंधक सह जिला समन्वयक पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि, “हमारी टीम नियमित रूप से इलाके का भ्रमण करती है और जरूरतमंद बच्चों को चिह्नित कर सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में लाने के लिए प्रेरित करती है। हमारी टीम में दो चिकित्सक, एक एएनएम, और एक फार्मासिस्ट शामिल हैं, जो इलाज में हरसंभव सहयोग प्रदान करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं हर जरूरतमंद तक पहुंचें।”
सरकारी योजना: समाज के लिए वरदान
किशनगंज के जिलाधिकारी, विशाल राज ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम समाज के कमजोर वर्गों के लिए वरदान साबित हो रहा है। मैं अभिभावकों से अपील करता हूं कि वे अपने बच्चों को समय पर स्वास्थ्य जांच के लिए स्वास्थ्य केंद्र लाएं। स्वास्थ्य विभाग पूरी तत्परता के साथ सभी जरूरतमंदों की सेवा में कार्यरत है और हर बच्चे के उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
गरीब परिवारों के लिए राहत
डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि, “स्वास्थ्य विभाग का यह प्रयास क्लबफूट जैसी गंभीर विकृति के इलाज में मील का पत्थर साबित हो रहा है। यह उन गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए बड़ी राहत है, जो महंगे इलाज का खर्च नहीं उठा सकते। समय पर उपचार और विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख से इन बच्चों का जीवन बेहतर होगा।”
स्वास्थ्य विभाग का यह कदम न केवल मेडिकल क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि समाज को यह संदेश देता है कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं सबके लिए सुलभ और सुविधाजनक हैं।
