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गलगलिया बना ब्राउन शुगर कारोबार का ट्रांजिट रूट, नॉर्थ ईस्ट के रास्ते सीमांचल में ड्रग्स सप्लाई होने से युवा और किशोरों का भविष्य हो रहा बर्बाद।

Apr 2, 2023 #नशा

विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।

किशनगंज जिले के सीमावर्ती क्षेत्र गलगलिया में लगातार नशे के बढ़ते कारोबार से युवा और किशोर ड्रग्स की गिरफ्तर में आ रहे हैं। गलगलिया ही नहीं पूरे सीमांचल में किशोरों तथा युवाओं के बीच मादक पदार्थों में खासकर स्मैक, ब्राउन शुगर की लत काफी तेजी से बढ़ी है। यहाँ के लोग अपने बच्चों को सफलता के शीर्ष पर देखना चाहते हैं लेकिन उन्हें आज अपने बेटों को ब्राउन शुगर के नशे से जूझते देखना पड़ रहा है।

सीमावर्ती क्षेत्र होने के चलते इस क्षेत्र में पुलिस का भी कड़ा पहरा है और स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा उक्त कारोबारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भी दम भरा जाता है, लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है। गलगलिया रेलवे स्टेशन समीप का गाँव लकड़ी डिपो, दरभंगिया टोला एवं रेलवे गेट समीप स्थित तोड़ीपट्टी गाँव में धड़ल्ले से ब्राउन शुगर बिक्री हो रही है। ब्राउन शुगर को बेचने का धंधा सुबह ही शुरू हो जाता है जो देर रात तक जारी रहती है। वहीं सीमा क्षेत्र के लगभग हर गांवों में युवाओं को तस्कर खुलेआम ब्राउन शुगर बेचते हैं और अब स्थिति यह बन गई है कि क्षेत्र के मुख्य बाजार चौराहों पर भी खुलेआम ब्राउन शुगर की पुडिय़ां बिकने लगी है। गलगलिया से सटे बंगाल क्षेत्र के नशा मुक्ति केंद्र के संचालक के अनुसार केंद्र में आने वाले लोगों में करीब 70 प्रतिशत से अधिक संख्या 20 से 25 आयु वर्ग के लड़कों की है। इनमें से लगभग आधे स्मैक, ब्राउन शुगर के आदी हो चुके हैं, तो बाकी शराब और गांजे के लत में आ गए हैं। कई ऐसे किशोर व युवा अपनी लत पूरी करने के लिए मोबाइल लूटने व चोरी आदि के जरिए अपराधों की दुनिया में प्रवेश करते हैं और दलदल में फंसते हुए अंतत: ड्रग्स के अवैध कारोबार का हिस्सा बन जाते हैं। पूर्व में कई ऐसे युवा गिरफ्तार भी किए गए हैं। नेपाल से आए इस नशे का सेवन करने वालों की टोलियां भी यहां दिन भर देखी जा सकती हैं जो आसानी से बॉर्डर पार कर चले आते हैं। हालांकि सीमा पर एसएसबी के जवान तैनात हैं, बावजूद इनके हौसले इतने बुलंद है कि नेपाल नंबर के बाइक से आकर नशा का सेवन कर वापस चले जाते हैं।

गलगलिया व पानीटंकी बना ब्राउन शुगर का ट्रांजिट रूट:

सूत्रों की मानें तो गलगलिया क्षेत्र में आज के समय हर रोज करीब 05 लाख रुपये से भी अधिक ब्राउन सुगर का कारोबार होता है। वहीं पानीटंकी की बात की जाय तो यहाँ हर रोज करीब 08 से 10 लाख रुपये का कारोबार होता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूर्वोत्तर के राज्यों से ड्रग्स की खेप पश्चिम बंगाल पहुंचती है, जहां से उसे डिमांड के अनुसार सीमांचल व नेपाल के इलाकों में पहुंचाया जाता है। ड्रग तस्करों का मजबूत नेटवर्क पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी, इस्लामपुर, पांजीपाड़ा से लेकर गलगलिया में काम कर रहा है। किशनगंज जिले में खासकर गलगलिया ड्रग्स सप्लाई का ट्रांजिट रूट बना हुआ है।

सीमांचल में बड़ी साजिश की आशंका:

गृह मंत्रालय को हाल में भेजी गई एक रिपोर्ट में सीमांचल में फैलते ड्रग्स कारोबार के पीछे खुफिया एजेंसियों ने बड़ी साजिश के तहत राष्ट्रविरोधी ताकतों की संलिप्तता की आशंका जताई है। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि नॉर्थ ईस्ट के रास्ते सीमांचल में स्मैक, चरस, गांजा व ब्राउन शुगर जैसी ड्रग्स की सप्लाई की जा रही है। आशंका जताई गई है कि पाकिस्तान व चीन में बैठे लोगों की मदद से नार्थ ईस्ट से सीमांचल तक का नेटवर्क संचालित किया जा रहा है। रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई है कि सीमांचल के सभी जिलों के किशोर व युवा तेजी से ड्रग्स के आदी होते जा रहे हैं। इसमें खास तौर पर ब्राउन शुगर और स्मैक का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इसे इसलिए साजिशन हथियार बनाया गया है क्योंकि यह शारीरिक व मानसिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित करता है।

धंधे में अब महिलाएं बन रही कैरियर:

भारत-नेपाल सीमा पर नेपाल पुलिस द्वारा समय-समय पर गिरफ्तार की जा रही महिलाओं से पुलिस को इनपुट मिलता रहा है कि नशीले पदार्थों की तस्करी में अब महिलाएं कैरियर का काम कर रहीं हैं। दरअसल सीमांचल व इसके आसपास के इलाके में तुलनात्मक रूप से गरीबी व अशिक्षा अधिक है। इसका फायदा इन तस्करों के स्थानीय मददगार उठाते हैं। वे गरीब व लाचार महिलाओं तथा बच्चों को अपना निशाना बना कर कैरियर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। पिछले मार्च महीने में ही नेपाल पुलिस की कार्रवाई में सीमा पर करीब आधे दर्जन महिलाएं ब्राउन शुगर की तस्करी में पकड़ी गई है।


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