सारस न्यूज, किशनगंज।
जीविका के माध्यम से कोचाधामन प्रखंड के कुट्टी पंचायत में शुक्रवार को बकरी हाट लगाया गया। समेकित बकरी–भेड़ विकास योजना–6 अंतर्गत, उन्नति जीविका महिला बकरी उत्पादक समूह के द्वारा यह हाट फूलबाड़ी गाँव में लगाया गया, जिसमें इस योजना के उनचालीस लाभार्थी जीविका दीदियों की बकरियों का स्वास्थ्य जाँच और इयर टैगिंग किया गया।
बकरी हाट में समेकित बकरी–भेड़ विकास योजना अंतर्गत लाभार्थी जीविका दीदियों की बकरियों का वजन, तापमान एवं अन्य स्वास्थ्य संबंधी जाँच की गई। इसके उपरांत इनका इयर टैगिंग किया गया। सभी बकरियों का स्वास्थ्य कार्ड भी बनाया गया।
इस अवसर पर जीविका किशनगंज के पशुधन प्रबंधक उमा शंकर पवन, प्रखंड पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. बालेश्वर मंडल, जीविका सामुदायिक समन्वयक सुमित कुमार, पशु सखी गुलशन प्रवीण, रेशमी बेगम उपस्थित थे।
किशनगंज जिला के पाँच प्रखंड – बहादुरगंज, कोचाधामन, दिघलबैंक, टेढ़ागाछ, ठाकुरगंज – के चयनित पंचायतों में इस योजना का संचालन किया जा रहा है। इन प्रखंडों में कुल 311 लाभार्थियों को समेकित बकरी–भेड़ विकास योजना–6 का लाभ दिया जा रहा है।
इस योजना अंतर्गत जीविका दीदियों को बकरी पालन हेतु आर्थिक मदद दी जाती है। योजना का उद्देश्य बकरी पालन के जरिए जीविका दीदियों की आमदनी बढ़ाना है। गरीब ग्रामीण परिवारों के लिए बकरी पालन आय के प्रमुख साधनों में से एक है। इस योजना के तहत चयनित जीविका दीदियों को 8 से 10 किलो वजन की तीन बकरियाँ स्वयं खरीदनी होती हैं।
बकरियों की स्वास्थ्य जाँच और इयर टैगिंग के बाद चयनित लाभार्थियों के बैंक खाते में अनुदान की राशि ट्रांसफर की जाती है। अनुसूचित जाति–जनजाति लाभार्थी परिवार को बकरी खरीद पर 90 प्रतिशत और अन्य परिवारों को 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है।
इस योजना अंतर्गत चयनित लाभार्थियों में अधिकांश अनुसूचित जाति–जनजाति परिवार के सदस्य हैं। बकरी पालन, गरीब ग्रामीण परिवारों के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह होता है। जब भी पैसे की जरूरत होती है, वे पाठा–पाठी, खस्सी, बकरी बेच कर आमदनी करती हैं।
बकरा–बकरियों के स्वास्थ्य और पोषण को बेहतर बनाने के लिए जीविका पशु सखी के माध्यम से बकरी पालकों को सेवाएँ दी जाती हैं। पशु सखी जीविका दीदियाँ पंचायत–गाँव स्तर पर बकरा–बकरियों का प्राथमिक उपचार करती हैं। इनके द्वारा बकरियों को कृमिनाशक दवा पिलाना, बधियाकरण, टीकाकरण कार्य किया जाता है। साथ ही जीविका सामुदायिक संगठनों में बकरा–बकरियों के स्वास्थ्य और पोषण के बारे में महिलाओं को जानकारी दी जाती है।
