राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
मंगलवार को सरस्वती पूजा का भव्य आयोजन संपन्न हुआ, जिसमें विद्या की देवी मां सरस्वती को गाजे-बाजे के साथ भावपूर्ण विदाई दी गई। इस अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने पूजा के साथ-साथ नम आंखों से देवी सरस्वती की प्रतिमा का विसर्जन किया। पूजा के अंतिम दिन मां सरस्वती की प्रतिमाओं का विसर्जन विभिन्न जलाशयों में किया गया, जहां श्रद्धालुओं ने अपनी श्रद्धा और आस्था के साथ प्रतिमाओं को जल में विसर्जित किया।
खास रस्में और आस्था का संगम
सरस्वती पूजा के अंतिम दिन, मां सरस्वती की प्रतिमा की खोड्छा भराई की रस्म को सुहागिन महिलाओं ने श्रद्धा और उल्लास के साथ अदा किया। इस रस्म के दौरान महिलाएं आशीर्वाद लेने और अपनी पूजा के साथ देवी सरस्वती का ध्यान करती हैं। इसके बाद, पूजा विधियों को पूर्ण कर देवी की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया।
शिक्षण संस्थानों और विभिन्न क्षेत्रों में पूजा
पूजा का आयोजन शिक्षण संस्थानों और विभिन्न समुदायिक स्थलों पर भी किया गया था, जहां छात्रों, अध्यापकों और स्थानीय निवासियों ने भाग लिया। मां सरस्वती के आशीर्वाद से शिक्षा और ज्ञान में वृद्धि की कामना की गई। इस अवसर पर कई स्थानों पर भजन, कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया, जो माहौल को और भी भक्ति-मय बना रहे थे।
विसर्जन जुलूस और भक्तों का उमड़ा उत्साह
मंगलवार को, विभिन्न जलाशयों जैसे डे-मार्केट, देव घाट, खगड़ा में भारी संख्या में लोग उपस्थित थे, जिन्होंने मां सरस्वती की प्रतिमाओं का विसर्जन किया। विसर्जन के दौरान, गाजे-बाजे, ढोल-नगाड़े और जयकारों के बीच भक्तों ने एक दूसरे को मां सरस्वती की कृपा का आशीर्वाद देते हुए एकजुट होकर प्रदूषण मुक्त और कदाचार मुक्त माहौल में विसर्जन किया।
अखंड आस्था और एकता का प्रतीक
इस पूजा ने न केवल शिक्षा के महत्व को प्रकट किया, बल्कि समाज में एकता और अखंड आस्था का भी प्रतीक बनी। यह उत्सव सामाजिक और धार्मिक सौहार्द्र को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ स्थानीय समुदाय को एक साथ लाने में भी सफल रहा।
इस पूरे कार्यक्रम के दौरान, श्रद्धालुओं का उत्साह और भक्ति भावना गहराई से महसूस की गई, और पूजा के बाद नम आंखों से विदाई देते हुए लोग देवी सरस्वती से अगले वर्ष फिर से मिलन का आशीर्वाद मांगते रहे।
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