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आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल – वंचित परिवारों को जोड़ा जा रहा है स्वयं सहायता समूहों से।


सारस न्यूज़, किशनगंज।

किशनगंज जिले में आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से वंचित ग्रामीण व शहरी परिवारों को स्वयं सहायता समूह (SHG) से जोड़ने की एक व्यापक मुहिम चलाई जा रही है। इस अभियान के तहत अब तक हजारों परिवारों को समूह से जोड़कर आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित किया गया है।

जीविका परियोजना के अंतर्गत कार्यरत सामुदायिक संसाधन सेवी और सामुदायिक उत्प्रेरक जीविका दीदियाँ जिले के सभी सात प्रखंडों में घर-घर जाकर परिवारों की पहचान कर रही हैं। इस संबंध में जिला परियोजना प्रबंधक (प्रभारी) श्री सुफल कुमार झा ने बताया कि अभियान का उद्देश्य उन सभी पात्र महिलाओं को समूहों से जोड़ना है, जो अब तक इससे वंचित रही हैं।

जुड़ाव की प्रक्रिया:

🔹 18 से 60 वर्ष की महिलाएँ स्वयं सहायता समूह की सदस्य बन सकती हैं।
🔹 एक परिवार से केवल एक महिला सदस्य का समूह में प्रवेश किया जाता है।
🔹 आधार कार्ड व राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों के माध्यम से सदस्यता संभव है।

अब तक के आंकड़ों के अनुसार—
ग्रामीण क्षेत्र में 505 नए स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं, जिससे 5,000 से अधिक वंचित परिवार जुड़ चुके हैं।
शहरी क्षेत्र में 46 नए समूहों के माध्यम से 400 से अधिक परिवारों को जोड़ा गया है।

वर्तमान स्थिति:

🔸 अब तक जिले में कुल 20,037 स्वयं सहायता समूह बनाए जा चुके हैं।
🔸 इन समूहों से 2.3 लाख से अधिक परिवार लाभान्वित हो रहे हैं।
🔸 शहरी क्षेत्रों में 1,029 समूह संचालित हैं, जिनसे 11,000 से अधिक परिवार जुड़े हुए हैं।

प्रमुख लाभ:

✅ समूहों के माध्यम से महिलाओं को कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जा रहा है, जिससे वे स्वरोजगार स्थापित कर पा रही हैं।
बैंकिंग सुविधाओं से समूहों को जोड़ा गया है, जिससे औपचारिक ऋण प्रणाली का लाभ सीधे जीविका दीदियों तक पहुँच रहा है।
वित्तीय साक्षरता, लेखांकन, सप्ताहिक बैठकें, सामूहिक निर्णय और आपसी सहयोग जैसे पहलुओं से महिलाएँ मजबूत होती जा रही हैं।
क्षमतावर्धन के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे महिलाएँ अपने व्यवसाय और पारिवारिक जीवन दोनों को बेहतर बना रही हैं।

इस अभियान के तहत महिलाएँ न सिर्फ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि सामाजिक रूप से भी सशक्त हो रही हैं। जीविका द्वारा संचालित ये समूह स्थानीय स्तर पर विकास का एक मजबूत आधार बनते जा रहे हैं, जिनके माध्यम से पारदर्शिता, जिम्मेदारी और दीर्घकालिक परिवर्तन सुनिश्चित किया जा रहा है।


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