सारस न्यूज़ टीम, ठाकुरगंज (किशनगंज)।
सोमवार को बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर ठाकुरगंज नगर स्थित आनंदमार्ग जागृति स्कूल के प्रांगण में आनंद मार्ग प्रचारक संघ के संस्थापक व प्रवर्तक श्री श्री आनंदमूर्ति जी का 101वां जन्मोत्सव समारोह पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर आनन्दमार्ग जागृति स्कूल में 03 घंटे का बाबा नाम केवलम अखंड संकीर्तन का भी आयोजन हुआ। इससे पूर्व आनंदमार्गियों ने साधना व पूजा अर्चना किये और श्री श्री आनंदमूर्ति द्वारा रचित प्रभात संगीत भी गाए। उक्त कार्यक्रम के उपरांत आनंदमार्गियों ने दरिद्र लोगों को भोजन करा नारायण सेवा की और विभिन्न तरह के सेवामूलक कार्य किए गए। इस मौके पर आचार्य लीलाधीशानन्द अवधूत ने आनंदमूर्ति जी के जीवनी पर प्रकाश डाला और बताया कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन गुरु श्री श्री आनंदमूर्ति जी का जन्म 1921 में बिहार के मुंगेर जिला के जमालपुर में एक साधारण परिवार में हुआ था और 21 अक्तूबर 1990 को आनंद मार्ग के केंद्रीय कार्यालय तिलजला, कोलकाता में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया।
उन्होंने आत्मा की मुक्ति के साथ समाज सेवा के उद्देश्य से 1955 में आनंद मार्ग प्रचारक संघ की स्थापना की। उन्होंने बताया कि श्री श्री आनंदमूर्ति आध्यात्मिक दर्शन के साथ संगीत, भाषा विज्ञान, कृषि विज्ञान, अर्थ शास्त्र, समाज शास्त्र, मनोविज्ञान, राजनीति शास्त्र, धर्म शास्त्र, नारी मर्यादा, शिशु साहित्य, योग-तंत्र, इतिहास, भारतीय दर्शन, पर्यावरण इत्यादि विषयों पर सैकड़ों पुस्तकें लिखीं। उन्होंने मात्र आठ वर्षों की अवधि में आठ भाषाओं-हिंदी, बांग्ला, संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी, अंगिका, मगही और मैथिली में 5018 गीत रचे और उन्हें संगीतबद्ध भी स्वयं ही किया, जो प्रभात संगीत के नाम से प्रचलित है। वहीं आनंदमार्गी आयकर अधिकारी चयन कुमार ने बताया कि तंत्र और योग पर आधारित इस संगठन का उद्येश्य है आत्मोद्धार, मानवता की सेवा और सबकी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना है। चयन कुमार ने कहा कि आनंदमार्ग के दुनिया भर में चिंतन केंद्र हैं जहाँ तंत्र योग और ध्यान सिखाया जाता है। इस एकेश्वरवादी संगठन का अष्टाक्षरी मूल मंत्र है बाबा नाम केवलम। वहीं उक्त कार्यक्रम में नीरज यादव, प्रकाश मंडल, रंजीत सरकार, भुपेंद्र सिंह, अमोद साह, विंदेश्वरी सिंह, श्वेता भारती, सरस्वती देवी, चन्द्रमाया देवी, मंगला देवी, कमला देवी आदि सहित आनन्दमार्गी मौजूद थे।