बीरबल महतो, सारस न्यूज़, ठाकुरगंज।
आनंद मार्ग प्रचारक संघ जिला ईकाई किशनगंज के द्वारा नगर के भीमवालिश स्थित आनंद मार्ग जागृति स्कूल में तीन दिवसीय सेमिनार कार्यक्रम संपन्न हुआ। सेमिनार के अंतिम दिन में आनंदमार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी के तैलीय चित्र में पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धा सुमन व्यक्त किया गया। त्रिदिवसीय धर्म सम्मेलन के तीसरे दिन ठाकुरगंज नगर एवं उसके आसपास के आनंद मार्गी प्रवचन का मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभ लिए। कार्यक्रम का शुभारंभ बाबा नाम केवलम के तीन घण्टे के अखंड संकीर्त्तन से हुआ। इसके बाद आनंदमार्गियों ने प्रभात संगीत, साधना, योगासन, पाञ्जन्य, ईश्वर प्रणिधान आदि गतिविधि की। इस दौरान प्रशिक्षक के तौर पर पूर्व प्राचार्य, डिग्री कॉलेज आनंदनगर (पुरुलिया) आचार्य देवोत्मानन्द अवधुत ने कहा कि विलासिता और विपन्नता दोनों ही मानवता के शत्रु हैं। विलासिता में मनुष्य भोग के पंक में फँसकर जड़ बन जाता है। वहीं विपन्न मनुष्य न्यूनतम आवश्यकता की पूर्ति के भाग दौड़ में अपना जीवन का बहुमूल्य समय लगा देता है। उन्होंने कहा कि आनंद मार्ग एक अध्यात्मिक आंदोलन है। आत्ममोक्ष और जगत के हित को लक्ष्य मानकर चलने वाले को अध्यात्मिक दर्शन के साथ ही सामाजिक आर्थिक सिद्धांत को साथ साथ लेकर चलना होगा। दोनों में से किसी एक के बिना मानव समाज पंगु है। उन्होंने कहा कि समाज में फैली हुई विषमता, गरीबी, शोषण और अंधविश्वास से मुक्ति दिलाने के लिए प्रगतिशील उपयोगी तत्व बहुत ही सुंदर साधन हैं। हर क्षमताओं का अधिकतम उपयोग और विवेकपूर्ण वितरण के द्वारा समाज में फैली हुई विषमता को दूर करना संभव है। मानव समाज एक और अविभाज्य है। परमा प्रकृति मां है और परम पुरुष सब के पिता है। वसुधा की संपदा में हर मनुष्य का हक है। उन्होंने कहा कि नव्यमानवतावाद के ध्वजवाहको को नीति नियम और कठोर आचरण विधि का प्रशिक्षण देकर सदविप्र तैयार करना होगा जो शीघ्र ही सुंदर समाज की रचना कर पाए। उन्होंने कहा कि परागति ही जीवों का परम लक्ष्य है। इस दौरान आनंदमार्गियों ने ललित मार्मिक नृत्य, कौशिकी नृत्य प्रदर्शन तथा नटराज तांडव नृत्य भी किए। इस दौरान नारायण सेवा के तहत सभी आगुंतकों को भोजन कराया गया। इस मौके पर आचार्य लीलाधिशानंद अवधुत, जिला भुक्ति प्रधान सुमन भारती, बज्रमोहन सिंह, विधानाथ यादव, सरस्वती देवी, अमोद साह, नीरज यादव, रंजीत सरकार, प्रकाश मंडल, कुंदन गुप्ता, पुर्णिमा देवी, मंगला देवी, तारामणि महतो आदि सहित बड़ी संख्या में आनंदमार्गी मौजूद थे।