बीरबल महतो, सारस न्यूज़, ठाकुरगंज।
रविवार को सावन पूर्णिमा के अवसर पर आनंदमार्ग प्रचारक संघ इकाई ठाकुरगंज के द्वारा आनंद मार्ग जागृति स्कूल के प्रांगण में छः घण्टे का बाबा नाम केवलम अखंड संकीर्त्तन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आनंदमार्गियों ने मिलीत ईश्वर प्राणिधान, गुरुपूजा, स्वाध्याय, श्रावणी पूर्णिमा का अर्थ, साधना, प्रभात संगीत और नारायण सेवा का आयोजन किया। बाबा नाम अखंड संकीर्त्तन के बाद आनंदमार्ग प्रचारक संघ के जिला भुक्ति प्रधान सुमन भारती ने बताया कि आनंदमार्ग के इतिहास में श्रावणी पूर्णिमा को ऐतिहासिक रूप से शुभ और पवित्र दिन माना जाता है। इस पवित्र दिन को आनंदमार्ग के संस्थापक व प्रवर्त्तक श्री श्री आनंदमूर्तिजी ने वर्ष 1939 में श्रावणी की पूर्णिमा के दिन मात्र 17 वर्ष की आयु में कलकत्ता में गंगा की काशीमित्र घाट पर कालीचरण बंदोपाध्याय से आध्यात्मिक दीक्षा की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि कालीचरण बंदोपाध्याय एक दुर्दांत डाकू थे जिन्हें श्री श्री आनंदमूर्त्ति जी ने प्रथम दीक्षा देकर एक महान सन्यासी कालिका नंद अवधूत के रूप में परिणत किया था। बाद में वे कालीकानन्द अवधूत बन गए। इसी दिन श्री श्री आनंदमूर्तिजी ने कालीचरण बंदोपाध्याय के माध्यम से धरधाम में पहला आध्यात्मिक बीज बोया था। उन्होंने बताया कि इस घटना से यह साबित होता है कि मनुष्य ज्ञान या गुरु के अभाव में कुमार्ग पर चलता है अन्यथा उसे रोककर डाकू से संत बाल्मीकि बनने में देरी नहीं लगती। उन्होंने कहा कि आनंदमार्ग पूरे विश्व में संप्रदायवाद, जातिवाद, रंगभेद व नस्लभेद को मिटाकर नव मानवतावाद की स्थापना करने पर विश्वास रखता है। वहीं इस मौके पर निमलाल गणेश, रंजीत सरकार, नीरज यादव, कुंदन गुप्ता, भुपेन्द्र सिंह, प्रकाश मंडल, चयन कुमार, पुष्पा देवी, कृष्ण प्रसाद सिंह, गोरंग सिंह, राजीव रंजन, चंद्रमाया देवी, पुष्पा देवी सहित नगर व ग्रामीण क्षेत्र के आनंदमार्गी शामिल हुए।