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ठाकुरगंज को अनुमंडल की दर्जा मांग को ले बैठक आयोजित, जनांदोलन को ले एक कमिटी गठन की बनी सहमति।

सारस न्यूज, किशनगंज।

ठाकुरगंज को अनुमंडल बनाने की मांग अब जोर पकड़ने लगा है। ठाकुरगंज प्रखंड के विभिन्न क्षेत्र के युवाओं ने मिलकर रविवार को प्रखंड कार्यालय परिसर में एक बैठक आयोजित कर इसे एक आंदोलन का रुप देने की बात कही गई है। बैठक में सबों ने मिलकर ठाकुरगंज को अनुमंडल का दर्जा मिलने को लेकर आज से आगे की रणनीति एवं आंदोलन का ब्लॉक कैंपस से युवाओं एवं इलाके के दानिश्मंदो की अगवाई में आगाज हुआ। वहीं उपस्थित लोगों ने इसकी बेहतर रूप रेखा तैयार करने जैसे कई अहम बिंदुओं पर विमर्श कर अनुमंडल की मांग पर की चर्चा। दूसरी तरफ कमिटी की गठन को ले बड़े पैमाने पर आगे और एक बैठक किए जाने की सहमती बनी।

इस दौरान पुर्व प्रमुख प्रतिनिधि व राजद के प्रदेश महासचिव मुश्ताक आलम ने कहा है कि सभी कोरम को पूरा करता ठाकुरगंज को अब अनुमंडल नहीं बनाया गया तो ठाकुरगंज के युवा जन आंदोलन करने को बाध्य होंगे। जिसकी रूप रेखा तैयार की जा रही है। उन्होंने बताया कि बिहार राज्य के किशनगंज जिले का ठाकुरगंज 12 वार्डों में विभाजित एक शहरी अधिसूचित क्षेत्र, 11 वार्डों वाला नवसृजित पौआखाली नगर क्षेत्र तथा 21 ग्राम पंचायतों का एक प्रखंड है। ठाकुरगंज एक तरफ नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अवस्थित है तो दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल राज्य की सीमा को छूता है। तमाम पात्रताओं के बावजूद करीब 4 लाख आबादी वाले प्रखंड के लोगों को आजादी के 75 वर्षों के बाद भी अनुमंडल का दर्जा न मिलना सीमांचल के इस अति पिछड़े क्षेत्र के विकास में एक बड़ा अवरोधक बन कर खड़ा हैं। जबकि ठाकुरगंज को अनुमंडल का दर्जा मिलने की सारी अहर्ताएं यथा- प्रखंड की सीमा अंतरराष्ट्रीय व अन्य राज्य की सीमा से सटे होना, क्षेत्रफल, आबादी, प्रखंड में तीन-तीन रेलवे स्टेशन, एक राष्ट्रीय राजमार्ग आदि सहित अन्य कई खूबियां मौजूद हैं। ठाकुरगंज एक बड़े सर्किल थाना के अलावा एसएसबी मुख्यालय, दो कस्टम कार्यालय, नेपाल सीमा पर दो ट्रांजिट पॉइंट सहित सुरक्षा एजेंसियों के कार्यालय भी हैं। इसके अलावे ठाकुरगंज अपनी भौगोलिक विशेषताओं के कारण इंडस्ट्रीअल हब बनने की ओर अग्रसर हैं। वहीं दूसरी ओर उदाहरणस्वरूप बेगूसराय जिला का दो अनुमंडल बखरी व मंझौल को जब तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अनुमंडल का दर्जा दिया था उस वक्त इन दोनों अनुमंडल की स्थितियां ठाकुरगंज से काफी बदत्तर थी। न बाजार था, न कोई रेलवे स्टेशन और न ढंग का सड़क मार्ग। वहीं मंझौल जिला मुख्यालय बेगूसराय से मात्र 15 किमी की दूरी पर है तो ठाकुरगंज जिला मुख्यालय से 50 किमी की दूरी पर है। इसका मुख्य कारण मंझौल आदि जगहों के तत्कालीन जनप्रतिनिधियों ने सरकार पर दवाब डालकर अनुमंडल का दर्जा प्राप्त किया और हमारे सीमांचल के दिग्गज राजनेता अपनी रोटी सेकते रह गए। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के संयुक्त सचिव अजय कुमार चौधरी के पत्र संख्या 181 जि.पु. 05-01-2012 सा. 12459 दिनांक 7.9.2012 के माध्यम से तत्कालीन जिलाधिकारी को पत्र के माध्यम से निर्देशित करते हुए कहा था कि नक्शा पर वर्तमान एवं प्रस्तावित अनुमंडल की स्थिति दर्शाते हुए प्रमंडलीय आयुक्त के माध्यम से अपना मंतव्य अविलंब उपलब्ध कराए। उसके बाद जिला प्रशासन के साथ प्रखंड के आला अधिकारियों का ठाकुरगंज का लगातार दौरा होता रहा। परंतु फिर कुछ महीनों के बाद जो आस ठाकुरगंज वासियों में जगी थी वो धीरे-धीरे क्षीण होती गई। इसलिए अब तमाम सुविधाओं के साथ अनुमंडल का दर्जा प्राप्त करने के लिए अपनी आवाज लोकतांत्रिक तरीके से जनांदोलन लिया जाएगा।

वहीं इस मौके पर पुर्व प्रमुख प्रतिनिधि अब्दुल बारी, शाहनवाज उर्फ कल्लू, मो जहुर आलम रज़वी, मंसूर आलम, अकमल अख्तर उर्फ आरिफ, मजीद आलम, मुर्तजा आलम, सज्जाद आलम, अहमद रजा, महमूद आलम, मीजान रब्बानी, देवव्रत कुमार गणेश,नासिर आलम, एडवोकेट अफसर आलम, नवाज़ उर्फ नन्हे, मिनहाज आलम, अजमल सनी, पंसस प्रतिनिधि तालिब हुसैन आदि मौजूद रहे।


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